मिर्जापुरः पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होते ही जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. जनप्रतिनिधियों ने अपने पांच साल के कार्यकाल में कितना काम कराया और कितना अधूरा रह गया. इसको जानने के लिए ईटीवी भारत प्रदेश के हर जिले में पहुंच रहा है. बात अगर मिर्जापुर की करें, तो यहां पर पंचायतों ने काम तो कराया है. लेकिन जितना काम होना चाहिए था, वो न हो सका. कहीं सड़क में गड्ढे हैं, कहीं सड़कों पर तालाब की स्थिति बनी हुई है. जिससे लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अस्पतालों में डॉक्टर नदारद हैं, तो बिजली का ट्रांसफॉर्मर जल जाने पर कई दिनों तक बत्ती गुल रहती है. ऐसी ही जिला-जवार की तमाम समस्यायें हैं जिन्हें हम बतायेंगे और दिखायेंगे इस ग्राउंड रिपोर्ट में.
जनप्रतिनिधियों ने 5 साल के कार्यकाल में कितना किया विकास, देखिए पंचायत चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट मिर्जापुर के पंचायतों में विकास की हकीकत
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2021 मार्च-अप्रैल में होने के कयास लगाये जा रहे हैं. एक बार फिर लोग गांव की सरकार चुनने के लिए तैयार हैं. भावी उम्मीदवार अभी से ताल ठोक रहे हैं. ग्राम प्रधान,जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य या दूसरे कोई प्रतिनिधि चुनते समय जनता के मन में उनके 5 साल के कराये गये काम का लेखा-जोखा पता होना चाहिये. गांव में उनके सरपंच, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख ने पूरे 5 साल में इलाके में क्या-क्या काम कराये हैं. पंचायत प्रतिनिधियों के दावे और वादों की हकीकत पता करने और उनके 5 साल का कच्चा चिट्ठा खोलने के लिए ईटीवी भारत हर पंचायत में जाकर पड़ताल कर रहा है.
बच्चों की पढ़ाई के लिये स्कूल की सुविधा पंचायतों में कितना हुआ काम कितना रह गया बाकी
बात जिले के पटेरा ब्लॉक के कोटवा पांडेय और सिटी ब्लॉक के बरकछा पंचायत के गांव में कराए गए विकास की करें, तो इस गांव के लोगों का कहना है कि कई सड़के तो बनाई गयी हैं. लेकिन आज कई ऐसी सड़कें हैं, जिन्हें बनाने की जरूरत हैं. यहां कई सालों से पर्यटन के लिहाज से काफी अहम विंडमफॉल की सड़क को बना दिया गया है. लेकिन वहीं बरकछाकलां के सड़क पर पानी लगा हुआ है, तो कोटवा पांडे की सड़क की हालत खस्ताहाल है. बात पानी की करें, तो यहां पानी की सुविधा बहुत अच्छी नहीं थी. लेकिन पांच सालों के भीतर यहां काफी कुछ बदलाव भी देखे गये. अब टंकी के सहारे घर-घर नल के माध्यम से लोगों तक पानी पहुंचाया जा रहा है. लोगों को पानी के लिए अब इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता है. बात बिजली की करें, तो पर्यटन के लिए काफी अहम विंडम फॉल के पास के ही गांव में पहले बिजली नहीं पहंची थी, मगर पिछले 2 साल पहले यहां बिजली पहुंच तो कई, लेकिन कभी हाई वोल्टेज, तो कभी ट्रांसफॉर्मर जलने से लोगों को कई दिनों तक अँधेरे में रहना पड़ता है. जिससे लोगों के बिजली संबंधित काम प्रभावित होते हैं. जिसको सही कराये जाने की जरूरत है.
मिर्जापुर में शिक्षा और स्वास्थ्य
शिक्षा के मामले में बरकछाकंला काफी समृद्ध है. यहां के सरकारी स्कूल किसी कॉन्वेन्ट से कम नहीं हैं. बच्चों को पढ़ने के लिए यहां बेंच और पानी के लिए नल की टोटी और क्लास में पंखे तक की सुविधा उपलब्ध है. स्कूल में बच्चों के लिए वॉसरूम भी है. लेकिन यहां के कई इलाकों में ऐसे स्कूल भी हैं. जहां के बच्चे जर्जर मकान में बने स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसा ही एक इलाका बरकछाखुर्द का है. जहां क्लास 5 तक के बच्चे तीन कमरे में पढ़ने को मजबूर हैं. एक रूम में 2 क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता है. स्कूल की बिल्डिंग भी जर्जर है. जिसे गिरा कर नई बिल्डिंग बनने वाली है. जिससे यहां की ये समस्या तो दूर हो जायेगी. लेकिन ऐसे बहुत से स्कूल हैं जहां ऐसी ही असुविधा फैली है. वहीं गांव में स्वास्थ्य सुविधा की बात करें, तो बरकछा कला में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जाता है. जिसकी वजह से दूर-दराज के मरीज भी यहां आते हैं. लेकिन अगर पास के राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल की बात करें, तो यहां पर अधिकतर ताला बंद रहता है. डॉक्टर नदारद रहते हैं. जिससे गांव वाले मजबूरन कहीं और इलाज के लिए जाते हैं. यहां डॉक्टर तो हैं, लेकिन मर्जी से ही आते-जाते हैं.
होम्योपैथिक अस्पताल में लगा रहता है ताला क्लास में बैठने की अच्छी व्यवस्था सड़क पर नाले के पानी का जमाव जिले में पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या
जिले में क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत के सीटों की बात करें, तो जिला पंचायत सदस्य की 44 सीट, क्षेत्र पंचायत सदस्य की 1092 सीट और ग्राम पंचायत यानि ग्राम प्रधान की 809 सीट है और सदस्य ग्राम पंचायत की 10,471 सीट है. यहां एक जिला अध्यक्ष, 12 ब्लॉक प्रमुख का चुनाव होता है. अब कार्यकाल खत्म होने से इन प्रतिनिधियों के कराये गये कामों का जनता एक-एक करके हिसाब लेने जा रही है. जो प्रतिनिधि गांव में विकास की गंगा को बहाया होगा, उसे लोग सिर आंखों पर बिठायेंगे और जिन्होंने न ही विकास किया और नहीं उनके दुख-दर्द को समझा उसे तो बाहर का रास्ता देखना ही पड़ेगा.