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विदेशों तक है मिर्जापुर के वर्मीकम्पोस्ट की डिमांड, जानें कैसे होता है तैयार

मिर्जापुर जिले के कुछ किसान, केंचुआ और गोबर बेचकर लाखों रुपये कमा रहे हैं. जिले के सीखड़ गांव के रहने वाले मुकेश पांडे और चंद्रमौली वेस्ट हो रहे गोबर से वर्मीकपोस्ट खाद तैयार कर देश के 6 राज्यों के साथ विदेशों तक सप्लाई कर रहे हैं. गोबर से यह लोग सालाना 15 लाख रुपये तक कमा रहे हैं.

विदेशों तक है मिर्जापुर के वर्मीकम्पोस्ट की डिमांड
विदेशों तक है मिर्जापुर के वर्मीकम्पोस्ट की डिमांड

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Published : Feb 26, 2021, 9:42 AM IST

मिर्जापुर: प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना आने पर महिलाओं को जहां सुविधा मिलने लगी. वहीं गांव में लोग गोबर को सड़कों या कूड़े में फेंक कर गंदगी फैलाने लगे. सड़कों पर गोबर देख मुकेश और चंद्रमौली ने कमाई का अवसर बना लिया. गोबर फेंक रहे किसानों से संपर्क कर वर्मीकपोस्ट खाद तैयार कर देश के 6 राज्यों के साथ विदेशों तक सप्लाई कर रहे हैं. यह लोग गोबर से सालाना 15 लाख तक कमा रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

गोबर बना कमाई का जरिया
गोबर के कंडी पर सालों से खाना बना रही महिलाओं को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस मिल जाने पर गोबर की दुर्गत होने लगी. गोबर को सड़कों पर या कूड़े में फेंकने लगे. इससे स्वच्छता के जगह गंदगी होने लगी. खराब हो रहे गोबर को जिले के सीखड़ ब्लॉक के सीखड़ गांव के रहने वाले मुकेश पांडे वेस्ट टू वेल्थ यानी गोबर से कमाई कर रहे हैं. मुकेश पांडेय किसानों की आय दोगुना करने का काम कर रहे हैं. वैदिक कृषि केंद्र के नाम से स्थापित इस केंद्र पर वर्मीकपोस्ट खाद तैयार करने के लिए 17 लोगों को काम देने के साथ 12 से 15 लाख रुपये सालाना कमाई कर रहे हैं.

जिले के सीखड़ गांव के रहने वाले मुकेश पांडे ने एमबीए की 2009 में ईडीआई अहमदाबाद से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 7 वर्षों तक नौकरी किया है. YMC मुंबई में स्टेट प्रोग्राम मैनेजर जैसे पदों पर रहकर नौकरी छोड़कर कर चार सालों से बेस्ट टू वेल्थ यानी गोबर से कमाई कर रहे हैं.

वर्मीकम्पोस्ट

वर्मीकम्पोस्ट खाद देश के कई राज्यों के साथ विदेश तक हो रही डिमांड
खेती की जमीन की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए कीटनाशक खादों की जगह प्राकृतिक खादों का डालना बहुत जरूरी होता है. बेस्ट हो रहे गोबर को इकट्ठा कर वर्मीकपोस्ट खाद तैयार किया जा रहा है. इस खाद की मांग देश के 6 राज्यों यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड समाते दिल्ली तक हो रही है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में खाद विदेश तक जा रहा है. साथ ही रियल ग्रीन के तरफ से एक बड़ा ऑर्डर मिला है, जिसके लिए खाद तेजी से तैयार किया जा रहा है.

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बेस्ट हो रहे गोबर को ले रहा है संस्थान
नाबार्ड और मिर्जापुर कृषि विभाग के सहयोग से संचालित एफपीओ नवचेतना एग्रो सेंटर है, जहां वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार हो रहा है. उस सेंटर को वैदिके कृषि सेंटर नाम दिया गया है. सिखड़ा गांव के आस-पास के लगभग 14 गांव के किसानों से गोबर लिया जा रहा है. 167 किसान जो गौ पालक हैं. उनसे 15 सौ रुपये प्रति ट्राली वेस्ट हो रहे गोबर को खरीदा जा रहा है. पिछले वर्ष 38 सौ कुंतल खाद तैयार किया गया था, इस वर्ष 5,000 कुंतल टारगेट है. यह संस्थान अपनी कमाई के साथ किसानों की भी कमाई का एक जरिया बन गया है. अब यहां के किसान गोबर सड़क पर या कूड़े में नहीं फेंक रहे हैं.

वर्मीकम्पोस्ट तैयार करते किसान

वर्मीकंपोस्ट खाद के फायदे
तैयार वर्मीकम्पोस्ट खाद को आप किसी भी फसल में चाहे बगवानी, अनाज, फूलों की सजावट के खेत में डालकर आप अपने खेत की उर्वरा शक्ति बचाने के साथ ही एक अच्छा फसल तैयार कर सकते हैं. सिखड़ा गांव में तैयार वर्मीकम्पोस्ट को आप इंडिया मार्ट, फ्लिपकार्ट, अमेजॉन जैसे साइड पर भी पा सकते हैं. यह हर जगह उपलब्ध है.

केंचुए से भी हो रही कमाई

केंचुए से भी हो रही है किसान की कमाई
केंचुए जमीन की उर्वरा शक्ति को सुधारक के रूप में जाना जाता. आधुनिक खेती में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के लगातार प्रयोग से केंचुए की संख्या में भारी कमी आई है. अब जमीन में केंचुए नहीं पाए जाते हैं. केंचुए की कमी होने की वजह से जमीन की उर्वरा शक्ति खोती चली जा रही है. अब केंचुए कमाई के जरिया बन गए हैं. केंचुए से वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार किया जा रहा है. 30 हजार रुपये का केंचुए लाकर अब 4 से 5 लाख रुपये का केंचुए बेचा जा रहे हैं. मतलब वर्मी कपोस्ट और केंचुए दोनों से कमाई की जा रही है.

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