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मिर्जापुर: ड्रैगन बना रहा किसानों को आत्मनिर्भर

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में इन दिनों विदेशी ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों ने शुरू कर दी है. ड्रैगन फ्रूट की खेती न सिर्फ पारंपरिक खेती से हट के है, बल्कि इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा. यहां पर ड्रैगन फ्रूट की खेती इतने बड़े पैमाने पर हो रही है कि कुछ ही सालों में यहां से यह फल एक्सपोर्ट भी किया जाएगा.

ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती

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Published : Nov 16, 2020, 12:09 PM IST

मिर्जापुर:किसान अपनी इनकम बढ़ाने के लिए खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. थाईलैंड, वियतनाम, इजराइल और श्रीलंका जैसे देशों में लोकप्रिय ड्रैगन फ्रूट की होने वाली खेती को अब मिर्जापुर में उगाने के लिए किसान तैयार हैं. सालों से धान और गेहूं की खेती में पानी की कमी से परेशान किसानों का रुझान अब ड्रैगन फ्रूट की तरफ बढ़ रहा है.

मिर्जापुर में 25 किसानों ने 20 हजार से अधिक पौधे लगाकर ड्रैगर फ्रूट की खेती शुरू कर दी है. अब इसके फल भी आने शुरू हो गए हैं. एक बार पौधा लगाने के बाद 30 साल तक किसान इससे फायदा ले सकते हैं. यह हार्ट डिजीज से लेकर डायबिटीज तक को ठीक करने में कारीगर है. साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने में भी यह फल कारगर है. ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसान आत्मनिर्भर बनने की और बढ़ रहे हैं. ड्रैगन फ्रूट की खेती की खासियत है कि इसके पौधे में कोई कीट नहीं लगते. आने वाले समय में ड्रैगन फ्रूट यहां से एक्सपोर्ट किया जा सकेगा, क्योंकि यहां की जलवायु ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए बहुत अच्छी है.

खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान.

विदेशों में मिलने वाला ड्रैगन फ्रूट अब मिर्जापुर में

विदेशों में उत्पादित होने वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों ने मिर्जापुर में ही शुरू कर दी है. पोषक तत्वों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट को पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर के नाम से भी जाना जाता है. ऊपर से काफी कठोर दिखने वाला यह फल अंदर से काफी मुलायम और टेस्टी होता है. बाजार में अधिक दामों पर मिलने की वजह से हाल के दिनों में भारत में भी इसकी खेती का प्रचलन अब तेजी से बढ़ रहा है. कम वर्षा वाले क्षेत्रों को ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. जिले के 25 किसान अब तक 20,000 से अधिक पौधे लगा चुके हैं. अब इन पैधों पर फल आने लगे हैं. बता दें कि जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती 2018 से शुरू की गई है.

कई बीमारियों में है फायदेमंद

जिले के किसान अब ड्रैगन फ्रूट की खेती कर न सिर्फ अपनी आय में बढ़ोतरी करेंगे, बल्कि यह कई रोगों की दवा भी है. इस फल को खाने से मनुष्य की कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं. मुख्य रूप से हार्ट डिजीज, डेंगू में जब प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, तो ऐसे में इससे प्लेटलेट्स बहुत जल्द रिकवर होती हैं. साथ ही तरह-तरह के जो बुखार हैं, उसमें एंटी एजिंग काम करता है. लन्स, डायबिटीज के साथ इम्युनिटी बढ़ाने में भी यह फल कारगर है. मोटापा दूर करने में भी यह सहायक है. इस वजह से अब ड्रैगन फ्रूट की वैल्यू बढ़ रही है.

एक बार लागत में 30 साल तक करेंगे कमाई

आमदनी बढ़ाने के साथ आत्मनिर्भर बनने के लिए किसानों ने पारंपरिक खेती को छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. सिटी ब्लॉक के नुआंव गांव के रहने वाले किसान आसाराम दुबे ने बताया कि पहले हम धान और गेहूं की खेती करते थे, लेकिन अब हमने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. हमारे फल भी आने शुरू हो गए हैं. कैक्टस प्रजाति का होने के कारण ड्रैगन फ्रूट को पानी की कम ही जरूरत पड़ती है. इसके मुकाबले धान और गेहूं में पानी की अधिक जरूरत पड़ती थी.

उन्होंने बताया कि इसमें कीड़े भी नहीं लगते हैं, जिससे किसी कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है. साथ ही इसे लगाने में कोई अधिक लागत भी नहीं लगती. इसे एक बार लगाने के बाद इससे 30 साल तक अच्छी कमाई कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पहले धान और गेहूं की खेती में 20 हजार रुपये प्रति बीघे की कमाई होती थी, लेकिन ड्रैगर फ्रूट की खेती से 4 से 5 लाख तक की कमाई की उम्मीद है. ड्रैगन फ्रूट की खेती की खासियत है कि इसके पौधे में किसी तरह के कीट नहीं लगते हैं और पौधे में किसी तरह की बीमारी होने का मामला सामने नहीं आया है. साथ ही इसमें कोई नुकसान नहीं होता.

ड्रैगन फ्रूट की बढ़ रही लोकप्रियता

कम जमीन में थोड़ी सी लागत लगाकर अधिक उत्पादन होने से ड्रैगन फ्रूट की लोकप्रियता अब जिले में बढ़ रही है. किसान इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं. देश में आने वाले समय में ड्रैगन फ्रूट का आयात नहीं करना पड़ेगा, बल्कि यहां के किसान एक्सपोर्ट करेंगे और साथ ही आत्मनिर्भर बनेंगे. ड्रैगन फ्रूट्स एक विदेशी फल है. मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, मैक्सिको, इजरायल, श्रीलंका और सेंट्रल एशिया में यह फल उगाया जाता है. ड्रैगन फ्रूट की खेती थाईलैंड में सबसे अधिक की जाती है. विदेशों में ड्रैगन फ्रूट की मांग अधिक होने के कारण इस फल की कीमत अधिक है.

तीन प्रकार के होते हैं ड्रैगन फ्रूट

ड्रैगन फ्रूट तीन प्रकार के होते हैं. पहला बाहर से लाल और अंदर भी लाल होता है. दूसरा बाहर से लाल और अंदर से सफेद होता है, जबकि तीसरा बाहर से पीला और अंदर से सफेद होता है .इसमें बाहर लाल अंदर लाल फल वाले की कीमत ज्यादा होती है. इसके पौधे से हर साल प्रति एकड़ 2 लाख रुपये की कमाई की जा सकती है. अभी उद्यान विभाग इसके पौधे को किसानों के लिए 50 से 60 रुपये में कौशांबी से मंगाकर उपलब्ध करा रहा है.

जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि मिर्जापुर की जलवायु ड्रैगन फ्रूट के लिए बहुत ही अच्छी है. इसके लिए किसानों को खेत में पिलर बनवाना पड़ता है. इसका पौधा नागफनी की तरह कटीला और नाजुक होता है. इसे पिलर के सहारे खड़ा करना पड़ता है. अप्रैल-मई के महीने में यह फल लगाया जाता है. यह फल 18 महीने में फल देने लगता है. जून से दिसंबर माह तक इसमें फल आने शुरू हो जाते हैं.

मेवाराम ने बताया कि एक पिलर में 10-12 फल रहते हैं. यह फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें गोबर की खाद और कम पानी लगता है. यह फल कई बीमारियों से बचाव के काम में आता है. किसानों ने अगर इसी तरह से इस फसल को जनपद में अपनाया तो यह फल 'एक जनपद एक उत्पाद' में शामिल हो जाएगा. इस फल को लगाने के बाद 30 साल तक किसान कमाई कर सकता है. फसल लगाने के तीसरे साल तक ही किसान की पूरी लागत निकल जाती है. बाकी के सालों में किसान शुद्ध रूप से कमाई कर सकता है.

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