मिर्जापुर: पंचायती राज समिति के सभापति और एटा के विधायक विपिन कुमार वर्मा (डेविड) के नाम से फर्जी लेटर पैड का मामला सामने आया है. सीडीओ को यह लेटर स्पीड पोस्ट से आया था. लेटर में एक ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई और रिलीव न करने के लिए लिखा गया था. सीडीओ भी लेटर का बिना जांच कराये ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दे दिया.
दरअसल, राजगढ़ ब्लाक में तैनात ग्राम पंचायत सचिव अविनाश सिंह का सोनभद्र में ट्रांसफर किया गया था. राजगढ़ ब्लॉक से उन्हें रिलीव कर दिया गया और उनसे चार्ज भी ले लिया गया था. लेकिन मिर्जापुर डीपीआरओ कार्यालय से रिलीव नहीं किया जा रहा था. कुछ ग्राम पंचायत सचिवों से लेकर डीपीआरओ कार्यालय के स्थापना बाबू और डीपीआरओ के पद पर काम करने वाले ग्राम पंचायत सचिव का सोनभद्र ट्रांसफर होना नागवार लग रहा था. जब इन अधिकारियों और कर्मचारियों को ट्रांसफर रोकने का कोई चारा नहीं बचा तो पंचायती राज समिति के सभापति व एटा के विधायक विपिन कुमार वर्मा (डेविड) का फर्जी लेटर लिखकर मुख्य विकास अधिकारी के नाम प्रतापगढ़ से स्पीड पोस्ट कर करवाई की मांग कर डाली.
लेटर में लिखा था कि 'सबसे भ्रष्टतम जिले का ग्राम पंचायत सचिव है, इसके विरुद्ध जनपद में कई भ्रष्टाचार की जांच चल रही है. तथ्य को छुपाकर अपना स्थानांतरण पैसे के बल पर सोनभद्र करा लिया है. तत्कालीन सीडीओ, तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी, तत्कालीन खंड विकास अधिकारी सचिव को कार्य मुक्त नहीं किया था. ग्राम पंचायत सचिव न्यायालय भी गया था. इसलिए इनको कार्य मुक्त न किया जाए. जब लेटर सीडीओ के ऑफिस पहुंचा तो सीडीओ ने बिना लेटर का जांच किए डीपीआरओ को सचिव के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिख दिया. ट्रांसफर होने के बावजूद डीपीआरओ से लेकर डीपीआरओ कार्यालय के स्थापना बाबू तक पैसे का डिमांड कर रहे थे. हालांकि बाद में महीनों से परेशान ग्राम पंचायत सचिव अविनाश सिंह को जिला अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद सोनभद्र के लिए रिलीव कर दिया गया है.
सभापति ने किया खंडनःवहीं, पंचायती राज समिति के सभापति ने फर्जी लेटर और खंडन का ओरिजिनल लेटर जिले में वायरल होने से अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. सभापति ने ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए कहा कि 'मेरे यहां से लेटर नहीं लिखा गया है. यह लेटर मेरा नहीं है. न लेटर पैड है. इसके साथ मेरा पत्रांक संख्या भी नहीं है. किसी ने फर्जी लेटर पैड बनाकर भेजा है. दोनों लेटर देखेंगे तो क्लियर हो जाएगा. कौन इस तरह का कर रहा है. मैंने मिर्जापुर के अधिकारियों से जांच कर पता लगाने को कहा है. सेक्रेटरी दोषी है या नहीं वह मेरा विषय नहीं है'.
लेटर की कराई जा रही जांचःमुख्य विकास अधिकारी श्रीलक्ष्मी वीएस ने बताया कि सभापति के नाम से एक लेटर मिला था, जिसमें लिखा गया था कि एक सचिव है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही उसका ट्रांसफर रोक दिया जाए और रिलीव न किया जाए. इसके बाद दूसरा लेटर आया, जिसमें लिखा था कि सभापति के नाम से किसी ने फर्जी तरीके से जारी किया है. दूसरे लेटर को सही समझ कर सचिव को रिलीव कर दिया. इस पूरे मामले का जांच बैठा दिया है. डीपीआरओ को जांच का निर्देश दिया गया है. दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी. फर्जी लेटर की जिला अधिकारी प्रियंका निरंजन सही से जांच करा दे.
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