मिर्जापुर: ईटीवी भारत के खबर का दमदार असर हुआ है. दोनों पैरों से दिव्यांग गोपाल खंडेलवाल गांव के बगीचे में बच्चों को 22 वर्षों से निशुल्क शिक्षा देखकर ज्ञान की अलख जगा रहे हैं. इस खबर को ईटीवी भारत ने 11 जुलाई 2020 को प्रकाशित किया था. मुश्किलों के दौर से गुजर रहे दिव्यांग ने ट्वीट कर जिलाधिकारी मिर्जापुर से इलाज के लिए दवा और खाने को लेकर मदद मांगी, तो ट्वीट का संज्ञान लेते हुए खुद दिव्यांग के पास जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार मदद करने घर पहुंच गए. दिव्यांग को दवा और खाने के लिए 6000 रुपये हर महीने की मदद करने को कहा. पहली किस्त उन्होंने 6000 अपने हाथों से दे दिया. कहा दो साल तक इनकी मदद की जाएगी. मदद पाकर गोपाल खुश दिखाई दिए और ईटीवी भारत पर खबर प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद दिया.
मुफ्त में पढ़ा रहे दिव्यांग शिक्षक की DM ने की मदद. मुश्किलों के दौर से गुजर रहे गोपाल की डीएम ने की मदद
मुश्किलों के दौर से गुजर रहे दिव्यांग गोपाल खंडेलवाल ने ट्वीट कर जिलाधिकारी मिर्जापुर से अपने इलाज के लिए दवा और खाने को मदद मांगी थी. ट्वीट का संज्ञान लेकर खुद दिव्यांग के पास शनिवार को उनके घर मदद करने डीएम पहुंच गए. डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने दिव्यांग को दवा और खाने के लिए प्रति महीने 6 हजार मदद करने को कहा और पहली किस्त नगद उनको सौंपा और कहा अगली किस्त अगले 2 सालों तक हर 7 तारीख के अकाउंट में पहुंच जाएगा. जिससे गोपाल खंडेलवाल की इलाज और खाने की व्यवस्था हो जाएगी.
दिव्यांग शिक्षक की DM ने की मदद. 22 वर्षों से निशुल्क शिक्षा देखकर ज्ञान की अलख जगा रहे हैं गोपाल
मिर्जापुर के मझवां ब्लाक के पत्तिकापूरा गांव में दोनों पैरों से दिव्यांग गोपाल खंडेलवाल गांव के बगीचे में 22 वर्षों से निशुल्क बच्चों को सुबह शाम शिक्षा देकर ज्ञान की अलख जगा रहे हैं. अकेले एक छोटे से रूम में रहकर इन गांव के बच्चों को निशुल्क 1999 से पढ़ा रहे हैं. अभी तक लगभग 10,000 से ज्यादा बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे चुके हैं. इनके पढ़ाए गए बच्चे हायर एजुकेशन कुछ कर रहे हैं, तो कुछ यहां तक एमबीबीएस और पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, कई बच्चे नौकरी तक कर रहे हैं.
क्या है गोपाल खंडेलवाल की कहानी
वाराणसी के रहने वाले गोपाल खंडेलवाल की जीवन की बात करें तो, गोपाल खंडेलवाल की जन्म 1 सितंबर 1969 में हुआ था. गोपाल ने 1991 में साइंस साइड से इंटर पास किया. 1996 में आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज में सीपीएमटी जरिए सिलेक्शन भी ले लिया. मगर 19 नवंबर 1996 को एडमिशन करा कर गोपाल कार ड्राइव करके घर लौट रहे थे. लखनऊ के पास लौटते वक्त हादसा हो गया. हादसे के बाद गोपाल की जिंदगी बदल गई और कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया. 3 सालों तक अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे डॉक्टर ने जवाब दे दिया और परिवार ने भी उनका साथ छोड़ दिया. तब एक दोस्त अमित दत्ता ने गोपाल खंडेलवाल का 1999 में मदद की. दोस्त की मदद से गोपाल खंडेलवाल 1999 में मिर्जापुर आ गए और पत्तिकापुरा कछवा मझवा गांव में रहने लगे. तब से यही पर बच्चों के बीच में रहकर शिक्षा का अलख जगा रहे हैं.
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रोटरी क्लब (एलीट) करेगा हर महीने मदद
ट्विटर के माध्यम से डीएम को जानकारी होने पर जिलाधिकारी ने रोटरी क्लब के सदस्यों से चर्चा की तो रोटरी क्लब के सदस्यों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया. गोपाल खंडेलवाल ने ट्विटर पर दवा और खाने के लिए हर महीने 5,000 की मदद मांगी थी, तो क्लब ने कहा कि 1000 और बढ़ाकर 6000 प्रति महीने इनकी मदद की जाएगी. 6000 पहले महीने की किस्त रोटरी क्लब वालों ने जिलाधिकारी के साथ मिलकर गोपाल खंडेलवाल को सौंप दी है. रोटरी क्लब वालों ने कहा कि आगे से हर महीने आपके अकाउंट में 7 तारीख को 6000 ट्रांसफर कर दिया जाएगा. मदद पाकर गोपाल खंडेलवाल ने जिलाधिकारी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि यह पहले जिला अधिकारी हैं, जिन्होंने मेरी मदद की है. मैं कई सालों से मदद की गुहार लगा रहा हूं. किसी ने कोई मदद नहीं की.
दिव्यांग शिक्षक की DM ने की मदद. विवेक ओबरॉय ने भी की है गोपाल खंडेलवाल की मदद
गोपाल खंडेलवाल की बगीचे वाली पढ़ाई का वीडियो वायरल होने पर अभिनेता विवेक ओबेराय ने उन्हें मुंबई बुलाया था. गोपाल के जीवन पर इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज द रियल हीरो नाम की 18 मिनट की डॉक्यूमेंट्री गोरेगांव में शूट की थी. इस कार्यक्रम का प्रसारण भी टीवी पर हुआ था, लेकिन इससे भी गोपाल को कोई खास मदद नहीं मिली. उन्होंने कुछ पैसे और एक व्हीलचेयर देखकर वापस मिर्जापुर के लिए रवाना कर दिया था.