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नए साल के पहले दिन मां विंध्यवासिनी के दरबार में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

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Published : Jan 1, 2021, 3:35 PM IST

नए साल के पहले दिन मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित मां विंध्यवानसी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दर्शन-पूजन के लिए उमड़ी. सुबह मंगला आरती के बाद मंदिर का कपाट आम भक्तों के लिए खोला गया.

Devotees worship of Vindhyavasini
मां विंध्यवासिनी

मिर्जापुर: विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में अंग्रेजी नववर्ष 2021 का स्वागत सनातन धर्म परंपरा से शुरू हो गया है. नए वर्ष के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन को पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिरों में विशेष तैयारी की गई है. भक्त नए साल 2021 के पहले दिन मां विंध्यवासिनी मंदिर, कालीखो मंदिर, अष्ठभुजा मंदिर सहित अन्य देवस्थलों पर दर्शन कर रहे हैं.

ब्रम्ह मुहूर्त में मां विंध्यवासिनी के बाल स्वरूप का दर्शन होता है

मंदिरों में उमड़ा जन सैलाब

नए साल के पहले दिन मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित मां विंध्यवानसी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दर्शन-पूजन के लिए उमड़ी. सुबह मंगला आरती के बाद मंदिर का कपाट आम भक्तों के लिए खोला गया. दूर-दूर से दर्शन पूजन के लिए आए श्रद्धालुओं का कहना था कि बीता साल बहुत अच्छा नहीं गया. मां विंध्यवासिनी के दर्शन कर कामना किया कि आने वाला साल अच्छे से बीते. मां विंध्यवासनी की होने वाली चारों आरती का अपना अलग ही महत्व है. विंध्याचल में मां विध्यावासनी की चार आरती सभी भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करती है. मां विन्ध्वासनी की चार आरती होती है, जबकि अन्य सभी पीठ में तीन आरती होती है.

मंगला आरती
ब्रम्ह मुहूर्त में मां विंध्यवासिनी के बाल स्वरूप का दर्शन होता है. इस रूप की आरती भोर में तीन से चार बजे के बीच होती है, इसे मंगला आरती कहते हैं. मां के इस स्वरूप का दर्शन करने से सदैव मंगल होता है. इस समय मां बाल्यकाल की मोहक आरती जीवन के सभी रंगों से उत्साह भरी होती है.

दरबार आरती
मध्यान्ह के समय मां के युवा रूप का दर्शन होता है. इस रूप की आरती मध्यान्ह बारह से एक बजे तक होती है. इसे मध्यान्ह या राजश्री आरती कहते हैं. इस रूप में मां अर्थ की अभिलाषा की पूर्ति करती हैं. इस समय युवावस्था के रूप में मां की आरती होती है जिसमें भक्तों को दुःख दरिद्रता से छुटकारा दिलाती है.

राजश्री आरती
सायंकाल में मां विंध्यवासिनी प्रौढ़ रूप में नजर आती हैं. इस रूप के लिए छोटी आरती सायं सवा सात बजे से सवा आठ बजे तक होती है. इस आरती में शामिल भक्तों को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है.

देव आरती
इस स्वरूप से मां अपने भक्तों की सर्वकामनाओं को पूर्ण करती हैं. चौथे रूप में मां वृद्धावस्था में मोक्ष प्रदायिनी हैं. ये देव-दरबार काल होता है और इसमें मां अपने भक्तों को देव-जननी के रूप में दर्शन देती हैं. इस रूप के लिए रात्रि में बड़ी आरती साढ़े नौ बजे से साढ़े दस बजे तक होती है. माना जाता है कि मां की इस चारों आरती में भाग लेने देवता भी आते हैं और इसमें भाग लेने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है.

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