मिर्जापुर: विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी के धाम में भक्तों ने मां कात्यायनी के दर्शन किए. मां की एक झलक पाने के लिए भक्त आतुर दिखे. वहीं मंगला आरती के बाद लाखों श्रद्धालु दर्शन को उमड़े पड़े. आधी रात के बाद से ही श्रद्धलुओं का तांता लगना शुरू हो गया था और मां की एक झलक पाकर सब खुश थे. नवरात्री के छठे दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के षष्ठम रूप और असुरों, दुष्टों का नाश करने वाली भगवती कात्यायनी की पूजा की जाती है.
विंध्याचल में श्रद्धालुओं ने किए मां कात्यायनी के दर्शन. इसे भी पढ़ें:- मिर्जापुरः प्रदेश सरकार ने नवरात्रि पर दी सौगात, जल्द बनेगा विंध्य कॉरिडोरतपस्या से प्रसन्न होकर मां कात्यायनी ने लिया जन्ममार्कण्डये पुराण के अनुसार जब राक्षसराज महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया, तब देवताओं के कार्य को सिद्ध करने के लिए देवी मां ने महर्षि कात्यान के तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था. चूंकि महर्षि कात्यान ने सर्वप्रथम अपने पुत्री रूपी चतुर्भुजी देवी का पूजन किया. जिस कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा. मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा भाव से नवरात्री के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा आराधना करता है तो उसे आज्ञा चक्र की प्राप्ति होती है. वह भूलोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज से युक्त होता है. उसके सारे रोग, शोक, संताप, भय हमेशा के लिए विनष्ट हो जाते हैं.रुक्मिणी ने की थी मां कात्यायनी की आराधनामान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए रुक्मिणी ने मां कात्यायनी की आराधना की थी, जिस कारण मां कात्यायनी को मन की शक्ति कहा गया है. आज के दिन मां को लाल वस्त्र चढ़ाना चाहिए. साथ ही मां को भोग में शहद अर्पित करना चाहिए, जिससे मां सभी की मनोकामना पूर्ण करती हैं. विंध्य पर्वत विराजमान मां विंध्यवासिनी के दरबार में नवरात्र में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आकर मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करते हैं.