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इस दरगाह पर हिंदू परिवार करता है चादर पोशी, क्या है खासियत - कंतित शरीफ की दरगाह

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्ला अलेह की दरगाह पर हर साल सालाना उर्स का आयोजन किया जाता है. सबसे खास बात यह है, कि इस उर्स मेले का आगाज हिंदू परिवार के चादर पोशी के बाद से शुरू होता है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग अजमेर नहीं जा पाते हैं, वो हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह पर सजदा करने जाते हैं, तो उनकी सारी मन्नतें कबूल हो जाती हैं.

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मिर्जापुर की कंतित शरीफ दरगाह.

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Published : Feb 24, 2020, 1:20 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्ला अलेह (कंतित शरीफ) का सालाना उर्स मेला, रविवार को चांद की पांचवी तारीख से शुरू होगा. तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में विभिन्न स्थानों से हजारों हिंदू-मुसलमान पहुंचेंगे. कंतित शरीफ का उर्स मेला संप्रदायिक सौहार्द की मिसाल माना जाता है.

मिर्जापुर की कंतित शरीफ दरगाह.
मां विंध्यवासिनी के बगल का दरगाह है खास

विंध्याचल की मां विंध्यवासिनी मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर है कंतित शरीफ की दरगाह. जहां 400 से अधिक सालों से उर्स मेला लगता चला आ रहा है. इस बार 1 मार्च से 4 मार्च तक यह मेला चलेगा. जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही है. मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार उर्स मेला चांद की पांचवी तारीख से शुरू होता है.

हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती के दरगाह पर, उर्स मेले का आगाज हिंदू परिवार स्वर्गीय जवाहिर कसेरा के वंशजों के चादर पोशी से शुरू होता है. इसके बाद आम जनों के लिए बाबा का दरबार खोल दिया जाता है. चादर पोशी करने की परंपरा दशकों से चली आ रही है.

तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड से लोग आते हैं. सभी धर्मावलंबी बाबा के दरबार में अपनी मन्नतें लिए आते हैं, और खुशी-खुशी प्रसाद लेकर अपने घर जाते है.

इस दरगाह पर इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा राजनाथ सिंह, फूलन देवी, शिवपाल यादव, अनुप्रिया पटेल जैसी शख्सियतों ने भी चादर पोशी की है.
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Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

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