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कोरोना और अब बर्ड फ्लू से टूटी पोल्ट्री कारोबारियों की कमर

कोरोना वैश्विक महामारी के बाद देश में बर्ड फ्लू की दस्तक की वजह से पोल्ट्री उद्योग पर एक बार फिर संकट गहराने लगा है. बर्ड फ्लू के डर से बिक्री पर काफी असर पड़ा है. पोल्ट्री फार्म वालों ने बैंकों से लाखों रुपये का कर्ज ले रखा है, जिससे उनकी चिंता बढ़ने लगी है.

पोल्ट्री कारोबार.
पोल्ट्री कारोबार.

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Published : Jan 30, 2021, 7:43 PM IST

मिर्जापुर: कोरोना महामारी का असर हर आदमी पर पड़ा है. इस महामारी ने कई व्यापारियों के कारोबार को ठप कर दिया. इसका असर पोल्ट्री फार्म के कारोबारियों पर भी पड़ा. वहीं, अब बर्ड फ्लू ने पोल्ट्री फार्म का काम करने वाले कारोबारियों को संकट में डाल दिया है. पिछले 10 महीने से पोल्ट्री उद्योग कोरोना की मार झेल रहा था. व्यवसाय फिर से शुरू हुआ, तो बर्ड फ्लू ने सब चौपट कर दिया. इसलिए पोल्ट्री उद्योग के कारोबारी कर्ज में डूबते जा रहे हैं, जबकि मिर्जापुर के विंध्याचल मंडल में एक भी बर्ड फ्लू का केश सामने नहीं आया है.

पोल्ट्री कारोबारियों की टूटी कमर.

उम्मीदों पर बर्ड फ्लू ने फेरा पानी

कोरोना काल के बाद जैसे ही पोल्ट्री फार्म का व्यवसाय फिर से शुरू हुआ, तो बर्ड फ्लू बीमारी की दस्तक ने उम्मीदों और अरमानों पर पानी फेर दिया. पोल्ट्री कारोबारी रहमत अली ने बताया कि पहले तो कोरोना ने बहुत नुकसान पहुंचाया. चारा भी नहीं आ पाया था. माल तैयार था, लेकिन जा नहीं पा रहा था. बहुत सारे चूजे मर गए. हमारा लगभग आठ लाख तक का नुकसान हुआ था. अब बर्ड फ्लू आ जाने से पहले की अपेक्षा बिक्री नहीं हो रही है. रेट भी कम हो गया है. चारा भी महंगा हो गया है. अब हमें कारोबार करना बहुत मुश्किल हो रहा है. यह समस्या सालों से बनी हुई है. कोरोना के बाद थोड़ी उम्मीद जगी थी, मगर बर्ड फ्लू आ जाने से अब कारोबार चौपट हो रहा है.

सरकार से मांग

यही हाल मोहम्मद सेराज पोल्ट्री फार्म के कारोबारी का भी है. इनका कहना है कि 10 सालों से पोल्ट्री फार्म का काम कर रहे हैं. कोरोना के पहले बहुत अच्छा व्यवसाय चल रहा था. कोरोना में पूरी तरह से चौपट हो गया. चार से पांच लाख का नुकसान उठाना पड़ा है. कोरोना के बाद थोड़ा सा सुधार हुआ. सौ रुपये किलो मुर्गे जा रहे थे, मगर बर्ड फ्लू की हवा से रेट गिर गया. अब 50 से 60 तक किलो बिक रहा है, जबकि 50 का चूजा 60 का दाना खिलाने पर एक किलो के मुर्गे तैयार होते हैं. सबसे अधिक मार पोल्ट्री उद्योग पर पड़ रही है, चाहे कोरोना हो, चाहे बर्ड फ्लू हम कारोबारी कर्ज में डूबते जा रहे हैं. सरकार से मांग करते हैं कि हम कारोबारियों को भी कुछ राहत दी जाए, जिससे हम लोग का धंधा बंद न होने पाए.

क्या हैं बर्ड फ्लू के लक्षण
बर्ड फ्लू एक वायरल डिजीज है, जो प्रवासी पक्षियों से होती है. जहां पर ज्यादा ठंड पड़ती है. जैसे यूरोपीय देशों से पक्षी उड़कर यहां आ जाते हैं, जिसके द्वारा यह बीमारी फैलती है. बर्ड फ्लू के मुख्य लक्षण जैसे पक्षियों की अधिक मात्रा में डेथ होना, नीला पड़ जाना, सुस्त हो जाना, टांगों पर हेमरेज होना, खून की नसें फट जाना होता है.

बर्ड फ्लू से निपटने के लिए विभाग अलर्ट
देश में बर्ड फ्लू की दस्तक की वजह से मिर्जापुर के विंध्याचल मंडल के तीनों जनपद मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही के अधिकारी अलर्ट हैं. जितने भी तालाब, नदी, वाटरफॉल हैं, सभी की देखभाल की जा रही है. कहीं से पक्षियों की मरने की जानकारी होती है, तो उसे तत्काल सैंपल के लिए भेजा जा रहा है. मंडल में मिर्जापुर से 180 सैंपल, भदोही से 115 और सोनभद्र से 60 सैंपल भेजे गए हैं. सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है. मंडल में मिर्जापुर में 170, भदोही में 42, सोनभद्र में 80 पोल्ट्री फार्म के कारोबारी काम कर रहे हैं.

यह है उपाय

बर्ड फ्लू की दस्तक से परेशान मीट और चिकन खाने वालों को लेकर अपर निदेशक डॉ. राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि मिर्जापुर में एक भी बर्ड फ्लू का केस सामने नहीं आया है. यहां के लोगों को घबराना नहीं चाहिए. मीट को उबालकर खाया जाए, तो बीमारी की संभावना नहीं होती है. उन्होंने बताया कि नॉर्मल पानी का टेंपरेचर हंड्रेड डिग्री सेंटीग्रेड होता है, लेकिन 70 सेंटीग्रेड पर चिकन को उबालकर खाया जाए, तो बिल्कुल वायरस मर जाता है. कच्चे मांस को हाथ से छू रहे हैं, तो हाथ अच्छे से धोएं और मांस को कई बार धोएं. यह करने से बीमारी नहीं हो सकती है. लोगों से अनुरोध है कि उबालकर खाएं, तो बर्ड फ्लू का असर नहीं होगा.

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