मिर्जापुर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जिले में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण जारी होने के बाद से पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बैठक और जनता के बीच जाना शुरू कर दिया है. इस बार जनपद में सभी पार्टियां अपने अधिकृत प्रत्याशी उतारने जा रही हैं. सभी पार्टियां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रही हैं. यह सभी पार्टियां अपने प्रत्याशी, ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा करने का दवा कर रहे हैं.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की चुनावी सरगर्मियां तेज
पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर चल रही है. सियासी दल अपनी तैयारी कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव में भले ही एक साल बाकी हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से सियासी कसरत शुरू कर दी है. मिर्जापुर जनपद में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण जारी होने के बाद से चुनावी सरगर्मियां और तेज हो गई हैं. पंचायत चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के पदाधिकारियों ने बैठक करते हुए जनता के बीच आना शुरू कर दिया है. सभी का दावा है कि ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी पर उनकी पार्टी के सदस्य होंगे.
मिर्जापुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो जाने से प्रत्याशियों का चुनाव समीकरण पूरी तरह से बदल गया है. हालांकि आरक्षण जारी होने से स्थिति अब पूरी तरह से स्पष्ट भी हो गई है. आरक्षण को लेकर चल रहा चर्चाओं का बाजार भी अब थम गया है. पंचायती राज व्यवस्था में 73वां और 74वां संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव वर्ष 1995 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ था. तब जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 1995 में भगवती प्रसाद कांग्रेस से जीते थे, लेकिन 1997 में अविश्वास प्रस्ताव के बाद हटा दिया गया, फिर 2 से 3 महीने बाद एक बार फिर अध्यक्ष बने. इसके बाद 2000 और 2005 में समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष शिव शंकर यादव की पत्नी प्रभावती यादव का कब्जा जा रहा. इसके बाद बहुजन समाज पार्टी के पूर्व एमएलसी विनीत सिंह की पत्नी प्रमिला सिंह 2010 और 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनी. मगर वर्तमान समय में सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर चुनाव का समीकरण जनपद में बदल गया है. 2021 के पंचायत चुनाव में किसके सिर पर ताज बंधेगा यह तो आने वाला समय बताएगा.