मिर्जापुर: मर्चेंट नेवी में कार्यरत जिले के अरविंद तिवारी (27 वर्ष) पिछले 3 दिसंबर को जलपोत से समुद्र में गिरने के बाद लापता हो गए. अरविंद के परिजनों ने घटना पर शक जाहिर करते हुए सुरक्षा मानकों का पालन न करने का आरोप कंपनी पर लगाया है.
जलपोत के साथ अमेरिका गए थे
पड़री थाना क्षेत्र के महेवा ग्रामसभा के दुनैया पांडेय मजरे के रहने वाले अरविंद एलीगेंट फ्लीट मैनेजमेंट कंपनी में क्वार्टर मास्टर के पद पर तैनात थे. वह जलपोत के साथ अमेरिका गए हुए थे. पनामा फ्लैग के जलपोत के साथ वह प्रशांत महासागर में सफर कर रहे थे. बीते 3 दिसंबर को टेक्सास में आर्थर पोर्ट के पास काम करने के दौरान वह समुद्र में गिर गए, जिससे वह समुद्र में लापता हो गए. कंपनी के मुताबिक उनकी तलाश की जा रही है.
कंपनी के अधिकारियों ने दी सूचना
अरविंद तिवारी केपरिजनों का कहना है कि कंपनी ने अरविंद के लापता होने की सूचना दी है. कंपनी के आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि पोर्ट पर पहुंचने से पहले लैडर रिगिंग प्रक्रिया के दौरान ऊंची लहर की चपेट में आने से अरविंद समुद्र में गिर गए. उसकी तलाश की जा रही है. अरविंद के परिजनों का आरोप है कि उसे सेफ्टी हार्नेस (एक प्रकार की रस्सी जो हुक से जुड़ी होती है और गिरने से बचाती है) नहीं दिया गया था.
सेफ्टी हार्नेस होता तो समुद्र में नहीं गिरता
परिजनों का कहना है कि अगर अरविंद के पास सेफ्टी हार्नेस होता तो वह समुद्र में नहीं गिरता. परिजनों ने कहा कि मर्चेंट नेवी में तैनात लोग अच्छे तैराक होते हैं. जबकि सेफ्टी बोट व बचाव दल भी जलपोतों पर होते हैं. इतनी जल्दी कैसे लोगों की आंखों के सामने अरविंद समुद्र में लापता हो गया. परिजनों ने कहा कि 3 दिसंबर को लापता होने की सूचना मिली और अभी तक उसका पता नहीं चल पाया है. परिजनों ने सुरक्षा मानकों का पालन न करने का कंपनी पर आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न मंत्रियों से भी मदद मांगी है.
2013 में सोमालियन लुटेरों के कब्जे में अरविंद भी थे
सोमालिया के लुटेरों ने जब 2013 में एक जहाज को कब्जे में ले लिया था, उस जलपोत में अरविंद भी सवार थे. लूटपाट के बाद उस जहाज को अनुमति पत्र न होने के बावजूद ईरान की सीमा में प्रवेश करा दिया गया था. इसके चलते उनका जहाज कई महीने ईरान के पोर्ट पर खड़ा रहा. वे सभी बंधक जैसी स्थिति में रहे. ईरान की जल सेना ने जहाज को कब्जे में कर लिया था. इसके बाद 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के दखल के बाद सभी को मुक्त किया गया था.