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नौकरी मांगते-मांगते थक गया मृतक आश्रित का परिवार, अब तो सुन लो योगी सरकार - मृतक आश्रित देवमणि

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में रहने वाला एक परिवार रोटी और मकान के लिए तरस रहा है. कई बार गुहार लगाने के बाद भी शासन की तरफ से पीड़ित परिवार को पिछले कई सालों से अनसुना किया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने नौकरी के लिए मजबूर देवमणि का हाल जाना.

पीड़ित परिवार.

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Published : Sep 18, 2019, 11:44 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर:सोनभद्र के एसपी कार्यालय में तैनात रहे आरक्षी स्वर्गीय कौशल प्रसाद पाठक की मौत के बाद उनके घर की हालत ठीक नहीं है. स्वर्गीय कौशल प्रसाद पाठक के बेटे ने मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक उसे नौकरी नहीं मिल सकी है.

अपनी दुख भरी कहानी सुनाता देवमणि.

5 वर्षों से भटक रहा मृतक आरक्षी
नौकरी के आवेदन के बाद तमाम कागजात खानापूर्ति लिखा पढ़ी के बाद जब 2014 में सारी प्रक्रिया पूरी हो गई और वह वर्दी का इंतजार करने लगा. इसके बाद खबर मिली कि उसकी फाइल अभी पुलिस मुख्यालय भेजी ही नहीं गई है. विगत 5 वर्षों से मृतक आरक्षी का बेटा सरकार के हर दरवाजे पहुंचा लेकिन कहीं से उसे कोई मदद नहीं मिली.

2010 में हुई थी कौशल प्रसाद पाठक की मौत
मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी मांग रहे 18 वर्षीय युवा देवमणि पाठक की उम्र अब 24 साल हो गई है. अवसाद ग्रस्त मां उसका साथ छोड़कर चली गईं. दो छोटे भाइयों, एक बड़ी बहन के विवाह और पढ़ाई की जिम्मेदारी लिए देवमणि कार्यालयों के चक्कर लगा रहा है. सोनभद्र एसपी कार्यालय के बाबू तत्कालीन अधिकारियों की एक गलती ने पूरा परिवार उजाड़ दिया. किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे पुलिस आरक्षी कौशल प्रसाद पाठक कि मृत्यु 2010 में हो गई थी. इसके बाद से मृतक आरक्षी के बेटों को नौकरी नहीं मिली है.

देवमणि ने ईटीवी भारत से बयां किया दर्द
मूल रूप से जनपद मिर्जापुर के खमरिया कला गांव के रहने वाले युवा देवमणि ने बताया कि सभी जगह से इतना पत्राचार हुआ कि एक हजार पन्नों का पुलिंदा ही उसके पिता की विरासत बन गया है. वहीं शासन कागज पर ही सवाल-जवाब का क्रम जारी रखे हुए हैं. पीड़ित देवमणि ने कहा कि उसने न्याय शहर दरवाजा खटखटाया, जहां से उसे एक-एक चिट्ठी मिलती गई. देवमणि का कहना है कि बहुत हो चुका कम से कम अब तो उसके परिवार को सीएम योगी से मिलाया दिया जाए.

परिवार के चारों भाई-बहन बहुत परेशान हैं क्योंकि वे अपनी पढ़ाई छोड़ चुके हैं. बिना पैसों की तंगी की वजह से किराए के मकान पर रहने को मजबूर हैं. बहन सुषमा पाठक ने 2014 में बीए करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी, तो वहीं देवमणि भी इंटर 2013 में पढ़ाई छोड़ चुका है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

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