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किसान सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने गिनाए नए कृषि कानून के फायदे

यूपी के मेरठ में शनिवार को केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने किसान सभा को संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान नए कृषि कानून के फायदे गिनाए. उन्होंने कहा कि मंडी प्रणाली पहले की तरह ही लागू रहेगी और एमएसपी भी खत्म नहीं की जाएगी.

मेरठ पहुंचे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान.
मेरठ पहुंचे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान.

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Published : Dec 19, 2020, 6:50 PM IST

मेरठ:एक ओर जहां कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है वहीं केंद्र सरकार के मंत्री किसान सभा आयोजित कर किसानों को कृषि कानून के फायदे गिनाने में लगे हैं. केंद्र सरकार ने इसके लिए बाकायदा देश भर में 7000 किसान सभाएं करने का एलान किया है. इसी कड़ी में शुक्रवार को जनपद में किसान सभा का आयोजन किया. किसान सभा मे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने किसानों संबोधित किया.

7000 किसान सभाओं से गिनाए जाएंगे नए कृषि कानून के फायदे.

लागू रहेगी मंडी प्रणाली
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कृषि संबधित कानूनों की जानकारी देते हुए कहा कि इन कानूनों से किसानों को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा. इनके लागू किये जाने से न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई असर पड़ने वाला है और न ही मंडियां खत्म होंगी. यह केवल विपक्षी दलों द्वारा किसानों के बीच मे भ्रम फैलाया जा रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि जल्द की किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए बीच का रास्ता निकाला जाएगा. इसके लिए बीजेपी नेता लगातार किसानों के बीच पहुंच रहे है.

किसान सभाओं के माध्यम से खत्म होगा किसान आंदोलन
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को समझाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने देश के किसान को नए कानून की बारीकियों को समझाने के लिए अभियान छेड़ दिया है. पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने किसान सभा में केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कृषि कानून की बारीकियां बताईं और कृषि संबंधी फायदे बताए. पीएम मोदी के आह्वान पर बीजेपी नेता एवं मंत्रियों देश भर में 7,000 किसान सभा आयोजित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

गन्ना किसानों के लिए दी सब्सिडी
किसान सभाओं के माध्यम से किसानों को बीजेपी की केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा जारी की जा रही योजनाओं के बारे बताया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने किसान सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 2018-19 में केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों को 13 रुपये 88 पैसे बतौर सब्सिडी दी है. यह सब्सिडी चीनी मिलों को नही बल्कि सीधे किसानों के खाते में पहुंची है.

केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को दिया ऋण
केंद्र सरकार ने 7500 करोड़ रुपये बिना ब्याज के चीनी मिलों को ऋण दिया है. ताकि मिल संचालक किसान का बकाया गन्ना भुगतान कर सकें. मिलों को दिए गए लोन के पैसे भी किसानों के खातों में भेजे गए हैं. इसके अलावा देश भर की 362 चीनी मिलों को 18,500 करोड़ का कर्ज एथोनॉल बनाने के लिए दिया.

विदेशों में चीनी का बढ़ाया निर्यात
केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि रॉ शुगर विदेशों से इम्पोर्ट की जाती थी. लेकिन बीजेपी की सरकार ने 2017-18 में 6 लाख मैट्रिक टन चीनी एक्सपोर्ट की है. 2019-20 में 37 लाख मैट्रिक टन चीनी निर्यात की है जबकि 2019-20 में 50 लाख मैट्रिक टन चीनी का विदेशों में निर्यात किया गया है. केंद्र सरकार ने हाल ही में 3,000 करोड़ रुपये देकर चीनी विदेशों में निर्यात करने के निर्देश दिए हैं. कांग्रेस के राज में चीनी का आयात किया जाता था लेकिन अब दुनिया के देशों में निर्यात किया जा रहा है. जो किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी है.

किसानों को भ्रमित करने का आरोप
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि दिल्ली में किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों के इस आंदोलन को कुछ सियासी दलों ने कैप्चर कर लिया है. विपक्षी दल किसानों को भ्रमित कर आंदोलन करने को मजबूर कर रहे हैं. बीजेपी सरकार किसान हितैषी सरकार है. अगर किसानों के मन में कोई दुविधा है तो उसका समाधान किया जा सकता है. इस आंदोलन को खत्म करने का केवल बातचीत से ही रास्ता निकलेगा.

बातचीत से ही निकलेगा हलः बालियान
ईटीवी भारत से बातचीत में मंत्री संजीव बालियान ने बताया कि किसान पंचायत एवं सम्मेलन के माध्यम से पीएम मोदी के संदेश को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है. कृषि संबंधी लाये जा रहे कृषि कानून की सही जानकारी किसानों तक पहुंचाई जा रही है. इन कानूनों में क्या कुछ दिया गया है. किसान हित में किसानों तक जाना बीजेपी नेताओं का फर्ज है. उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों से निवेदन किया कि संवाद से ही बातचीत कर समस्याओं का हल निकलेगा. सरकार और किसानों के बीच संवाद जारी रहना चाहिए. इस आंदोलन को खत्म करने के लिए बीच का रास्ता तभी निकालने के लिए संवाद शुरू होना चाहिए.

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