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सांसद ने गोद लिया था भगवानपुर, फिर भगवान भरोसे छोड़ दिया

यूपी के मेरठ में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गए गांव भगवानपुर चटावन के हाल बेहाल हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने इस गांव को गोद लिया था. सात साल बीत जाने के बाद भी इस गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुए हैं. ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि गोद लिए जाने से पहले विधायक, एमएलसी, जिला पंचायत या फिर जिला पंचायत अध्यक्ष के कोटे से विकास कार्य हो जाते थे, लेकिन जब से गांव को आदर्श ग्राम योजना में शामिल किया गया है. तब से गांव के लोग अन्य योजनाओं से भी वंचित रह गए हैं. सांसद के झूठे दावे के बाद अब भगवानपुर चटावन गांव के लोग सांसद आदर्श ग्राम योजना के नाम पर अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

सांसद आदर्श ग्राम की हकीकत.
सांसद आदर्श ग्राम की हकीकत.

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Published : Mar 9, 2021, 2:33 PM IST

Updated : Mar 9, 2021, 4:12 PM IST

मेरठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना हवा हवाई साबित होती नजर आ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पीएम बनने के बाद सांसद आदर्श ग्राम योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के तहत हर सांसद को अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र के 3-3 गांव को गोद लेकर विकास कार्य कर आदर्श गांव बनाने के निर्देश दिए थे. पीएम मोदी के निर्देश पर मेरठ के स्थानीय सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने 2019 में गांव भगवानपुर चटावन गांव को गोद लेकर ग्रामीणों को आदर्श गांव बनाने का सपना दिखाया था. दो सालों में गांव को आदर्श गांव बनाना तो दूर चुनाव जीतने के बाद सांसद गांव में एक-दो बार ही पहुंचे है.गांव की गलियों में बहता गंदा पानी और टूटी फूटी नालियां सांसद आदर्श ग्राम योजना की पोल खोल रहे हैं. ग्रामीणों में गांव की हालत को लेकर आक्रोश बना हुआ है.

सांसद आदर्श ग्राम की हकीकत.
पीएम मोदी के निर्देश पर गोद लिया था गांव
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव को जीतने के बाद प्रधान मंत्री मोदी ने आदर्श ग्राम योजना लॉन्च कर न सिर्फ सांसदों को गांव गोद लेने को कहा था, बल्कि गांवो में शहर जैसी सुविधाएं देकर आदर्श गांव बनाने के निर्देश दिए थे. बीजेपी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने मेरठ के भगवानपुर चटावन गांव को गोद लिया था. जिसके बाद आदर्श ग्राम योजना में शामिल होने के बाद ग्रामीणों में जश्न का माहौल था.

सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने लिया था गोद.

गांव को शहर बनाने का दिखाया गया था सपना
2014 में चुने जाने के बाद स्थानीय सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने गांव को गोद तो ले लिया, लेकिन गांव के हाल की सुध नहीं ली. ग्रामीणों ने बताया कि सांसद राजेन्द्र अग्रवाल एक दो बार गांव आए भी तो ग्राम प्रधान के घर चाय नाश्ता करके लौट गए. गांव को गोद लिये हुए 7साल बीत जाने के बाद भी गांव में 30 फीसदी से ज्यादा विकास नहीं हुआ है. हालांकि जिस वक्त गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा हुई थी, उस वक्त भगवानपुर चटावन गांव के ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं था. गांव में सभी सरकारी योजनाओं के साथ सारी सुविधाएं लाने का सपना भी ग्रामीणों को दिखाया गया था, लेकिन हालात वही जस के तस ही रहे.

पानी भरे रास्ते से निकलने को मजबूर लोग.

प्रधान के घर आसपास हुआ विकास
ETV भारत की टीम ने सांसद द्वारा गोद लिये गए गांव भगवानपुर चटावन पहुंच कर न सिर्फ उसका जायजा लिया, बल्कि ग्रामीणों से भी बात की. ETV भारत से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि सांसद गांव में केवल वोट मांगने आये थे. उसके बाद उन्होंने गांव में आकर देखा तक नहीं. गांव में न तो गालियां बनी है और ना ही पानी निकासी की कोई व्यवस्था की गई है.वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान ने अपने मोहल्ले और घर के आसपास आरसीसी की गलियां जरूर बनवाई हैं.

लगा है कूड़े का अंबार.

कूड़े के अंबार और खराब नलकों ने खोली पोल
सडकों के अलावा स्कूल और अस्पताल की बात करें तो ये वहां पहले से ही बने हुए थे. लाखों की लागत से बना पुराना अस्पताल अब तक डॉक्टरों की बाट जोह रहा है. गांव में 15 साल पहले लगाए गए नलके ठप हो चुके हैं. जिससे ग्रामीणों के आगे स्वच्छ पानी की भी समस्या है. पानी निकासी के लिए नालियां तो बना दी गई, लेकिन उनकी सफाई तक नहीं कराई जाती. गलियों में लगे कूड़े के अंबार भी आदर्श गांव में बीमारी को दावत दे रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है गांव में एक सफाई कर्मचारी है जो केवल प्रधान के घर के आसपास की सफाई करके चला जाता है.

टूटे पड़े रास्ते.

योजनाओं से वंचित है पूरा गांव
पीएम मोदी के दावे के अनुसार, गांव में फ्री WIFI सुविधा, इंटर कॉलेज, अस्पताल, पीने के पानी की टंकी, पक्की सड़कें, तालाबों का सौदर्यीकरण किया जाना था, लेकिन स्थानीय सांसद द्वारा गांव में महज 30-45 सोलर स्ट्रीट लाइट लगाकर करोड़ों खर्च करने के दावे किए जा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आदर्श ग्राम योजना से पहले उनका गांव सही था. तब विधायक, एमएलसी, जिला पंचायत या फिर जिला पंचायत अध्यक्ष के कोटे से विकास कार्य हो जाते थे, लेकिन जब से गांव को आदर्श ग्राम योजना में शामिल किया गया है. तब से गांव के लोग अन्य योजनाओं से भी वंचित रह गए हैं. सांसद के झूठे दावे के बाद अब भगवानपुर चटावन गांव के लोग सांसद आदर्श ग्राम योजना के नाम पर अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
Last Updated : Mar 9, 2021, 4:12 PM IST

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