मेरठ:अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की पहली चिंगारी क्रांतिधरा मेरठ से फूटी थी. 10 मई, 1857 को मेरठ में सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह हुआ. मेरठ को अंग्रेज सबसे सुरक्षित छावनी मानते थे और उन्हें इस बात का बिलकुल भी अहसास नहीं था कि यहां से विद्रोह हो सकता है. वहीं, इस विद्रोह में पहली बार आजादी की झलक देखने को मिली थी. खैर, आज आजादी के 75 साल बाद भी क्रांतिधरा मेरठ की सरजमीं पर स्थापित एक संग्रहालय उस दौर की हिन्दुस्तानी वीरगाथों को स्मरण करना का काम कर रहा है. इस संग्रहालय में 1857 की क्रांति से जुड़े कई निशां देखने को मिलते हैं.
इस संग्रहालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई अन्य आ चुके हैं. मेरठ के इस राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्राहलय को देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से ही लोग यहां आते हैं. गौर हो कि पूरे सूबे में मेरठ में यह अकेला ऐसा संग्रहालय है, जो 1857 क्रांति से जुड़ी तमाम जानकारी खुद में समेटे है. कैंट स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय मेरठ ही नहीं, बल्कि समूचे देशवासियों के लिए खासा महत्व रखता है. इस संग्रहालय में कुल पांच गैलरियां हैं, जिनमें पहली व दूसरी गैलरी में 1857 की क्रांति गाथा का चित्रण डायरोमा से किया गया है.
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