मेरठ: उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ किसानों की आय को दुगनी करने के लिए आए दिन वादे और दावे करते हैं. उन वादों और दावों को अमलीजामा पहनाने के लिए नौकरशाही को निर्देश भी देते हैं. उनके वादों में चीनी मिलों का समय पर संचालन भी है, मगर मेरठ और सहारनपुर मंडल में यानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों के संचालन में देरी हो रही है. ये देरी न सिर्फ किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है, बल्कि सरकार के दावों की पोल भी खोल रही है.
फसल को कम दामों पर बेचने को मजबूर
अभी चीनी मिलों का चक्का तक नहीं घूमा. इसके चलते गन्ने की फसल या तो खेतों में खड़ी है या फिर सूख रही है. अब गन्ना किसानों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. छोटे किसान भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. एक तो कोरोना की मार ऊपर से बंद पड़ी चीनी मिलें. किसान अपनी फसल कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं.
विदेशों तक बिकती है यहां की बनी चीनी
चीनी का कटोरा कहा जाने वाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जहां के मेरठ और सहारनपुर मंडल में 33 चीनी मिलें हैं. यहां के किसान 70 फीसदी से ज्यादा जमीन पर गन्ना उगाते हैं. इनके गन्ने से बनी चीनी से देश ही नहीं बल्कि विदेशियों का भी मुंह मीठा होता हैं. नई फसल की बुवाई के चलते किसान मजबूरीवश अपने लहलहाते गन्ने के खेत खाली कर रहे हैं. इसके चलते कोल्हुओं पर किसान अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं. चीनी मिलों ने अभी तक पिछले साल का बकाया भुगतान भी नहीं किया है.