मेरठ:इन दिनों मेरठ के 'इकलौता गांव' की चर्चा काफी हो रही है. वैसे ये गांव शहर से तो दूर है ही. वहीं, आज भी गांव में जाने को टूटे-फूटे रास्तों से गुजरकर जाना होता है. इन्हीं टूटे-फूटे रास्तों से गुजरते हुए 'पारुल चौधरी' ने खुद को ऐसा तैयार किया कि आज देश की नंबर वन धावक बन गई है. भारतीय धाविका पारुल चौधरी ने लॉस एंजिलिस में साउंड रनिंग मीट के दौरान राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और महिला 3,000 मीटर स्पर्धा में 9 मिनट से कम समय लेने वाली देश की पहली एथलीट बनी.
पारुल के पिता का कहना है कि गांव के जर्जर टूटे-फूटे रास्तों पर उनकी बेटी ने करीब 9 साल पहले दौड़ना शुरू किया था. सरकारी स्कूल में ही वे पारुल समेत अपने सभी बच्चों को पढ़ाई करा पाए,वे कहते हैं कि उनकी बेटी ने पूरी ईमानदारी से मेहनत की है. पारूल के पिता कृष्णपाल चौधरी बताते हैं कि क्योंकि गांव में खेल के मैदान तक नहीं हैं तो उन्होंने अपनी दूसरी बेटी प्रीति के साथ पारुल को शहर में स्टेडियम में तैयारी करने के लिए भेजा. पारुल के पिता जब अपनी बेटी के संघर्ष को बताते हैं तो उनके आंसू भी छलक जाते हैं. पारुल के पिता कहते हैं कि बहुत से लोग बेटियों को बोझ समझते हैं ये गलत है. पारुल की दूसरी बहन भी बेहतरीन खिलाड़ी हैं और वो वर्तमान में दारोगा के पद पर है.
पारुल के घर पहुंचकर लोग लगातार बधाई दे रहे हैं. मिठाइयां बांटी जा रही हैं. क्षेत्र के ब्लॉक प्रमुख राहुल देव कहते हैं कि पारुल ने छोटे से गांव का नाम रोशन किया है. वे कहते हैं कि पारुल चौधरी ने देश-गांव के साथ जिले प्रदेश और देश का मान बढ़ाया है और सभी तैयारी कर रहे हैं. जब पारुल लौटेंगी तो भव्य स्वागत किया जाएगा.
मेडलों से भरा है कमरा
पारुल के घर में एक खास कमरा है जोकि पूरी तरह से पारुल की मेहनत को बता रहा है. साथ ही ये भी बता रहा है कि देश की नंबर धावक बनने से पहले पारुल ने किस-किस मेडल को अपने नाम किया.