मेरठ : समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान चार दिसंबर से अनशन पर थे. सोमवार को उनके अनशन का आज आठवां दिन था. पिछले माह से ही वह निजी अस्पतालों में मिलने वाले इलाज और उसके एवज में मरीज से वसूली जाने वाली रकम को लेकर कड़े तेवर अपनाए हैं. दरअसल, नवंबर में मेरठ के न्यूटीमा अस्पताल में एक मरीज के परिजनों की शिकायत पर अतुल प्रधान ने वहां के डॉक्टरों पर मरीजों से इलाज के नाम पर लूट मचाने, वहां के मेडिकल स्टोर से दवाई मिलने और पर्चे पर डॉक्टरों के द्वारा दवाई के साथ कोडवर्ड लिखने का आरोप लगाया था. कार्रवाई की मांग को लेकर वह अनशन पर थे. सोमवार को उन्होंने महापंचायत बुलाई थी. प्रशासन ने 30 दिनों के अंदर में व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दिया. इसके बाद विधायक ने अनशन समाप्त कर दिया. विधायक और उनके समर्थकों ने प्रशासन को अल्टीमेटम भी दिया है कि प्रशासन अगर जल्द बदलाव नहीं आता है तो दोबारा से आंदोलन किया जाएगा.
मंच पर पहुंचे अधिकारी, कार्रवाई का दिया आश्वासन :जिला प्रशासन के द्वारा लगातार कोशिश की जा रही थी कि सपा विधायक अपना अनशन समाप्त करें. महापंचायत के मंच पर ही जिले के एडीएम सिटी, एसपी सिटी और सीएमओ पहुंचे. उन्होंने विधायक की अधिकतर मांगों पर एक माह के अंदर ही उचित कदम उठाने का भरोसा दिलाया. उन पर तुरंत काम प्रारम्भ कराने का वादा किया. कुछ मांगों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि जो उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं उनके लिए वह शासन को लिखेंगे. इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने विधायक से अनशन समाप्त करने के लिए बोला. इसके बाद विधायक अतुल प्रधान ने 30 दिन का अल्टीमेटम देकर आमरण-अनशन समाप्त कर दिया.
विधायक बोले-लड़ाई समाप्त नहीं हुई :विधायक ने कहा कि अभी यह लड़ाई समाप्त नहीं हुई है, बल्कि आगे वह अब महंगी होती जा रही शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे. अस्पतालों में जो कुछ हो रहा है उस मुद्दे को उठाकर लोगों की समस्या को सरकार के कान तक पहुंचाने की कोशिश की है. उन्हें उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी. सपा विधायक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि अगली बार अस्पतालों के साथ ही निजी स्कूलो के खिलाफ भी आंदोलन होगा. विधायक अतुल प्रधान ने बताया कि उन्होंने अपनी 20 साल की संपत्ति की घोषणा अनशन के दौरान की है. डॉक्टर अपनी केवल तीन साल की संपत्ति की घोषणा करें. अतुल प्रधान ने जूस पीकर अनशन तोड़ दिया, खास बात यह है कि विधायक ने जिस बच्ची के मुद्दे को लेकर डॉक्टरों के खिलाफ हुंकार भरी थी, उसी दो माह की नवजात बच्ची के हाथों जूस पीकर अनशन को समाप्त किया.
विधायक की पत्नी बोलीं- आगे भी उठाते रहेंगे आवाज :अतुल प्रधान की पत्नी ने सीमा प्रधान ने कहा कि एक पत्नी के तौर पर उन्हें काफी कष्ट हुआ. पति अनशन पर जनता के लिए बैठे थे. कुछ लोग तरह तरह की बातें बना रहे थे. उन्होंने कहा कि उनके परिवार में बच्चे भी काफी परेशान थे. पति ने जनता के लिए यह आवाज उठाई और हमेशा इसी तरह से आगे भी उठाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि जनता की जरूरी मांग को जिस तरह से उठाया है, उसके बाद प्रशासन ने जिस तरह से लचीला रुख अपनाया है और भरोसा दिलाया है तो बदलाव होगा.
मामला उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तक पहुंचा था. इस मामले में डिप्टी सीएम ने जहां तब जिले के अफसरों को टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए थे, वहीं अस्पताल प्रबंधन की तरफ से सपा विधायक पर अस्पताल में घुसकर डॉक्टरों से अभद्रता करने, समर्थकों संग मिलकर हंगामा करने जैसे आरोप लगाकर स्थानीय मेडिकल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.
शिकायत पर विधायक अतुल प्रधान और उनके कई समर्थकों पर मुकदमा दर्ज किया गया. निजी अस्पताल क्योंकि शहर का बड़ा और चर्चित हॉस्पिटल है, ऐसे में उसके समर्थन में IMA भी उतर आई और विधायक पर अस्पताल को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता पाने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए. शहर भर में IMA के अह्वान पर चिकित्सक एकजुट हुए और विधायक का जोरदार विरोध किया गया.
डॉक्टरों के द्वारा पूरे शहर में प्रदर्शन हुए और डॉक्टरों ने कभी डीएम को ज्ञापन दिया, तो कभी भाजपा नेताओं से समर्थन मांगने पहुंचे. हालांकि, अभी तक डॉक्टरों के साथ खुलकर भाजपा के एकाध नेता को छोड़ दें तो कोई समर्थन में खड़ा नहीं दिखता. डॉक्टरों के समर्थन में कुछ भाजपा नेताओं से जब बात की गई तो डॉक्टरों के समर्थन में जरूर भाजपाई बोले. लेकिन, डॉक्टरों के साथ अभी तक भाजपा के सक्रिय नेताओं की दूरी ही है.
खास बात यह है कि जहां पहले यह लड़ाई सिर्फ न्यूटीमा हॉस्पिटल और सपा विधायक के बीच थी, वहीं अन्य डॉक्टरों और IMA के एक साथ होकर सपा के खिलाफ आने से विधायक ने भी अपनी रणनीति बदल दी. जहां पहले अतुल प्रधान सिर्फ और सिर्फ एक अस्पताल को टारगेट कर रहे थे, वहीं खुद पर डॉक्टरों के बनते दवाब को देखकर सपा विधायक अतुल प्रधान ने भी थोड़ा सा करेक्शन अपने तेवर में किया.
अब उसके बाद से अतुल प्रधान ने सभी निजी अस्पतालों को निशाने पर ले लिया. छात्र राजनीति से निकलकर विधायक बने सपा विधायक का विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने भी समर्थन किया. डॉक्टरों के बढ़ते विरोध को देखते हुए उनकी पत्नी भी मैदान में उतर आईं हैं. पति पर लगे आरोपों पर सपा विधायक की पत्नी और पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष सीमा प्रधान समर्थन में उतर आईं और उन्होंने भी एक निजी अस्पताल पर आरोप लगाए कि आम आदमी परेशान है. निजी अस्पतालों में लूट मची हुई है. वहां डॉक्टर दवाइयों के पर्चे पर कोड वर्ड में लिखते हैं. दवाएं सिर्फ और सिर्फ उसी अस्पताल के मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं. उसके अलावा पूरे शहर में अस्पताल के डॉक्टरों के द्वारा जो दवाइयां लिखी जाती हैं कहीं नहीं मिलतीं.