मेरठः समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर पिछले काफी समय से अलग-अलग मामलों के चलते सुर्खियों में हैं. कभी अलाया अपार्टमेंट मामले को लेकर, तो कभी माफिया अतीक के साथ उनकी फोटो वायरल होने को लेकर. लेकिन, ताजा मामला उनकी विधायकी से जुड़ा हुआ है. 2022 विधानसभा चुनाव में उनके प्रतिद्वंदी और पूर्व विधायक सत्यवीर त्यागी ने चुनाव हारने के बाद सपा विधायक की विधायकी को हाइकोर्ट मे चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि चुनाव परिणाम सही नहीं है. पिछले गुरुवार को शाहिद मंजूर के एडवोकेट की तरफ से हाईकोर्ट में दायर एक प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया गया. इसमें कहा गया था कि पूर्व विधायक सत्यवीर त्यागी की याचिका सुनावई योग्य नहीं है.
इस मामले को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि इलेक्शन का काम कई चरणों में पूरा होता है. पहले चरण में यही प्रक्रिया होती है कि जो वोट बना है, वह लीगल है या नहीं. इसके लिए इलेक्शन कमीशन से तारीख तय होती है. इसमें निर्धारित तारीख तक वोट बनवाने और अगर किसी को आपत्ति है, तो उसे फिर तय तिथि तक आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है.
मंजूर ने कहा कि वोटर लिस्ट प्रकाशित होने के बाद भी यह विकल्प होता है कि गलत वोट अगर बनाया गया है, तो उसे भी कैंसिल कराया जा सकता है. डीएम, एसएसपी नहीं सुन रहे, तो उसके लिए एक मंच है, जहां अपनी बात रखी जा सकती है. शिकायत की जा सकती है. इसके बावजूद भी जब वोट पड़ता है, तो भी वहां हर दल के एजेंट होते हैं. तब भी गलत वोट कैसे पकड़ सकते हैं? उन्होंने कहा कि इसी तरह बूथ कैप्चरिंग का मामला है, तो उसकी भी शिकायत होती है. निश्चित ही इलेक्शन दोबारा होते हैं. यह कुछ आधार हैं, जिससे चुनाव को चुनौती दी जा सकती है. पूर्व मंत्री ने कहा कि उनके प्रतिद्वंदी की तरफ से रिट फाइल की गई थी.
चुनाव की वैधता को चुनौतीःदरअसल किठौर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक और उनके प्रतिद्वंदी सत्यवीर त्यागी ने 2022 विधानसभा चुनाव हारने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शाहिद मंजूर के विधायक चुने जाने के बाद पूर्व विधायक ने उनकी चुनाव की वैधता को चुनौती दी थी. सत्यवीर त्यागी ने कुछ तथ्यों के साथ हाईकोर्ट से कहा कि किठौर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम सही नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रशासन की गड़बड़ी से उनकी हार हुई है. किठौर विधानसभा क्षेत्र में हजारों मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया था.