मेरठ: 'मंजिलें उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती हैं, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. ये पंक्तियां मेरठ की बेटी साक्षी जौहरी पर सटीक बैठती है. साक्षी जौहरी ने इन दिनों वुशु ( जूडो कराटे ) की दुनिया में तहलका मचाया हुआ है. साक्षी न सिर्फ नेशनल स्तर पर धूम मचा चुकी हैं, बल्कि इंटनेशनल स्तर पर भी धमाल मचाया हुआ है. तलवारबाजी के खेल में साक्षी देश विदेश में खेल कर कई पदक अपने नाम किए हैं.
रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड से सम्मानित साक्षी के संघर्ष की कहानी साक्षी ने जहां नेशनल खेलों में जिले का नाम रोशन किया है, वहीं कई देशों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं. साक्षी ने तलवारबाजी ( वुशु ) खेल में गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक देश के नाम किए हैं. खास बात ये है कि साक्षी के पिता कबाड़ खरीद कर बेटी को आगे बढाने में सहयोग कर रहे हैं, वहीं उसकी मां घरों में काम करती हैं. साक्षी इस उपलब्धि को हासिल कर उन बेटियों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करने से पहले ही हिम्मत छोड़ देती हैं.
गरीब परिवार में पली बढ़ी साक्षी वुशु की दुनिया मे आगे बढ़ती जा रही हैं साक्षी के पिता पहले कूड़ा बिनने का काम करते थे. समय के साथ उन्होंने गलियों में घर घर घूमकर रद्दी और कबाड़ खरीदने का काम करने लगे, वहीं उसकी मां गीता जौहरी घर घर जाकर नवजात शिशुओं की मालिश और अन्य काम करती हैं, जिससे उनके घर का पालन पोषण हो रहा है. कबाड़ की खरीद फरोख्त से ही साक्षी के सपनो को उड़ान देने की कोशिश कर रहे हैं. गरीब परिवार में पली बढ़ी साक्षी वुशु की दुनिया मे आगे बढ़ती जा रही हैं. पिता को चोट लगने के बाद सीखा वुशु
साक्षी जौहरी ने बताया कि बचपन मे पड़ोसियों का उसके परिजनों के साथ झगड़ा हो गया था. झगड़े में साक्षी के पिता नरेश चंद जौहरी को चोट लग गई थी. पिता को चोट लगने का साक्षी जौहरी पर इतना गहरा असर पड़ा कि उसने तलवारबाजी और जूडो कराटे सीखने की ठान ली, जिससे समाज में झगड़ालू किस्म के लोगों को सबक सिखा सके. कक्षा 9 में आने के बाद साक्षी ने जूडो कराटे की दुनिया मे पहला कदम रखा था जो आज तक नहीं रुका. साक्षी का कराटे सफर लगातार जारी है. नेशनल इंटरनेशनल स्तर पर जीते मेडल मेरठ की बेटी तलवारबाजी में लगातार नए आयाम छू रही है. नेशनल स्तर पर जहां कई राज्यों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं. वहीं इंटरनेशनल स्तर पर भी कई मेडल जीत कर तिरंगे का मान बढ़ाया है. साल 2008 से अब तक साक्षी सैकड़ों की संख्या में गोल्ड, सिल्वर एवं कांस्य पदक जीत चुकी है. उसके घर में ट्रॉफी और मेडल रखने की जगह कम पड़ गई है. पिता को चोट लगने का साक्षी जौहरी पर इतना गहरा असर पड़ा कि उसने तलवारबाजी और जूडो कराटे सीखने की ठान ली.
सीएम योगी ने रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड से नवाजा साक्षी की प्रतिभा को देखते हुए 26 जनवरी के अवसर पर लखनऊ में रानी लक्ष्मीबाई पुरुस्कार से नवाजा गया है. सीएम योगी ने कबाड़ी की बेटी की सराहना करते हुए साक्षी को तीन लाख 11 हजार की नगद धनराशि देकर भी सम्मान किया है. बेटी के रानी लक्ष्मीबाई पुरुस्कार मिलने से उसके पाता पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है. पिता नरेश चंद जौहरी का कहना है कि उन्होंने कभी सपने में भी नही सोचा था कि एक कबाड़ खरीदने बेचने वाले की बेटी इस मुकाम पर पहुंच जाएगी. साक्षी की प्रतिभा को देखते हुए 26 जनवरी के अवसर पर लखनऊ में रानी लक्ष्मीबाई पुरुस्कार से नवाजा गया है. माता पिता ने की सरकारी नौकरी की मांग बेटी की इस उपलब्धि से जहां परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है, वहीं बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. साक्षी के पिता बेटी को रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड मिलने के बाद सीएम योगी एवं पीएम मोदी का न सिर्फ धन्यवाद कर रहे हैं, बल्कि बेटी के लिए सरकारी नौकरी की मांग भी की है. साक्षी के पिता का कहना है कि उन्होंने कबाड़ बिनने के साथ कबाड़ बेच कर अपने परिवार का पालन पोषण किया है. उनकी बेटी को नौकरी मिल जाएगी तो बेटी अपना जीवन अच्छे से गुजार सकेगी. साक्षी ने साल 2019 में ईरान में हुए वर्ल्डकप में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीत कर भारत का मान बढ़ाया था. साक्षी ने बताया कि उसने सब जूनियर से लेकर जूनियर तक तीस नेशनल मैच खेले हैं. खास बात ये है कि उसने सभी प्रतियोगिताओं में मेडल जीते हैं. इसके अलावा 2018 में उसने बुल्गारिया और यूरोप में इंटरनेशनल स्तर पर हुई वर्ल्ड चैपियनशिप में हिस्सा लिया. 2019 में ईरान में हुए वर्ल्डकप में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीत कर भारत का मान बढ़ाया था, जबकि 2019 में ही चीन में हुई चैंपियनशिप में प्रतिभाग किया था. साक्षी अब आने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए तैयारी कर रही हैं. साक्षी को एक कबाड़ी की बेटी होने पर पूरा गर्व है. अब तक मिली इन सब उपलब्धियों के लिए सारा श्रेय वह अपने माता पिता को दे रही हैं.