मेरठः प्रदेश में शिक्षा के अधिकार (Right to Education) के तहत गरीब बच्चों के कॉन्वेंट स्कूल में होने वाले प्रवेश सफेद हाथी बनकर रह गए हैं. आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत एक लाख रुपये से कम आय वाले अभिभावकों के बच्चों को निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर निशुल्क प्रवेश दिया जाना था. लेकिन, मेरठ में जितने आवेदन आए उनमें से महज एक चौथाई बच्चों के दाखिले कॉन्वेंट स्कूलों में हो पाए हैं. 6-14 वर्ष के जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में पढ़ने का अवसर मिल सके, इसके लिए हर वर्ष राइट टू एजुकेशन के तहत कॉन्वेंट स्कूलों में दाखिले दिए जाते हैं.
जिला बेसिक शिक्षा के अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि इस सत्र में राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिले के लिए करीब साढ़े 8 हजार आवेदन-पत्र आए थे. इनमें से सिर्फ 3938 पात्र पाए गए. बीएसए ने कहा कि उन्होंने विभिन्न विद्यालयों में एडमिशन के लिए लिए पत्र जारी किए थे, जिसमें से 2998 बच्चों ने राइट टू एजुकेशन के तहत प्रवेश लिया है. इसके साथ ही 556 बच्चों के अविभावक अथॉरिटी लेटर ही लेने नहीं आए. वहीं, 1084 छात्र ऐसे भी थे, जिनके अभिभावकों ने भी विभाग से आकर दाखिले के लिए अनिवार्य ऑथारिटी लेटर नहीं लिया.
बीएसए ने बताया कि जिन बच्चों ने राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिले नहीं लिए उनके अभिवावकों से सम्पर्क करने की कोशिश की गई. दाखिले के लिए रिमाइंडर भी भेजा गया. विभाग ने विज्ञप्ति निकालकर भी लोगों को अवगत कराने की कोशिश की. लेकिन, बावजूद इसके लोगों ने बच्चों के दाखिले में रुचि नहीं दिखाई. बेसिक शिक्षा अधिकारी का मानना है कि लोग अपने बच्चों के दाखिला सिर्फ ख्याति प्राप्त विद्यालयों में ही कराना चाहते थे.