मेरठः चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग में तुलसी पर शोध हो रहा है. यहां के वैज्ञानिकों की माने तो दुनिया में 67 तरह की तुलसी की प्रजातियां मिलती है. इनमें से छह से सात प्रजातियां भारत में मिलतीं हैं. विवि में पांच तरह की तुलसी पर शोध हो रहा है. किसानों के लिए यह किस तरह फायदेमंद हो सकती है, इस पर शोध हो रहा है.
वनस्पति विज्ञान के HOD डॉ. विजय मलिक बताते हैं कि तुलसी के तेल की खूब डिमांड है. इसकी कीमत भी काफी होती है. इससे किसान आय बढ़ा सकते हैं. इस पर शोधार्थी अर्चस्वी त्यागी ने रिसर्च की है. उन्होंने बताया कि कि तुलसी के वैज्ञानिक नाम ओसीमम टेनू फ्लोरम, ओसीमम बेलिसिकम, ओसीमम अमेरिकन, ओसीमम अफ्रीकन आदि हैं.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग में तुलसी पर शोध हो रहा है.
तुलसी पर शोध कर रहे शोधार्थी अर्चस्वी त्यागी ने बताया कि तुलसी की स्पेसीज से जो सुगंधित तेल निकलता है, उसका रासायनिक संगठन क्या है? इस पर शोध किया है. जिन पांचों तुलसी की स्पेसीज पर शोध किया है, उन्हें बड़े स्तर पर उगाने पर किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि वेस्ट यूपी में गन्ने की बंपर पैदावार होती है. किसान गन्ने के साथ इसकी खेती करेगा तो मुनाफा काफी बढ़ जाएगा. शोध में पता चला है कि ओसीमम बेसिलिकोन और ओसीमम अफ्रिकेनम में सबसे अधिक तेल निकलता है. 100 ग्राम पत्तियों में 2 ML तेल निकलता है. इस लिहाज से यह बेहद ही फायदेमंद साबित हो सकती है. उन्होंने कहा कि तुलसी को ईसा पूर्व विष्णुप्रिया, विष्णुकांता, विष्णुवल्लभा के नाम से जाना जाता है. ओसीमम ग्रीक शब्द है. अगर किसान इसकी खेती करने लगे तो यह खूब फायदा दे सकती है.
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