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पूर्व डीजीपी बृजलाल की तीन पुस्तकों का विमोचन, बोले-शांति व्यवस्था के लिए लोगों को जोड़ना जरूरी, सर्विलांस सेकेंडरी

राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल की तीन किताबों का राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपई ने मंगलवार को विमोचन किया. इस दौरान राज्यसभा सांसद बृजलाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. देखिए यह रिपोर्ट.

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पूर्व डीजीपी बृजलाल

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Published : Sep 14, 2022, 3:22 PM IST

मेरठ:यूपी के पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद बृजलाल की तीन पुस्तकों का मेरठ में मंगलवार को बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपई ने विमोचन किया था. पूर्व डीजीपी बृजलाल ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उन्होंने कहा कि, पब्लिक के अलावा पुलिस के लिए यह पुस्तकें बेहद जरूरी हैं. बेहतर पुलिसिंग के लिए अफसरों को कहना चाहता हूं कि परमानेंट शांति व्यवस्था के लिए लोगों को जोड़ना पड़ेगा. सर्विलांस सेकेंडरी है.

राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने अपनी तीनों किताबों के बारे में बताया कि, उनकी जो तीन पुस्तकें हैं, वह सियासत का सबक, इंडियन मुजाहिदीन के निशाने पर गुजरात और पुलिस बारात, तीनों पुस्तकें तथ्यों पर आधारित है. यह कोई उपन्यास नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जो मैंने 37 वर्ष वर्दी पहनी है इन पुस्तकों में उसका सार लिखा गया है. खासकर सियासत का सबक पुस्तक में. राजनीति में खासतौर से दलितों को गुमराह किया जाता रहा है और महत्वपूर्ण तथ्यों को इतिहास से गायब कर दिया गया.

पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद बृजलाल ने दी जानकारी


दूसरी पुस्तक का जिक्र करते हुए एक्स डीजीपी बृजलाल ने कहा कि, इंडिया मुजाहिदीन के निशाने पर गुजरात पुस्तक में वह तमाम जानकारीयां हैं. इसमें जान सकते हैं कि किस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उस वक्त मारने का प्रयास किया गया और किस तरह से अमित शाह पर हमला करने का प्रयास हुआ. उन्होने कहा कि 2014 में मोदी जी आ गए. उन्होंने नाम गिनाते हुए कहा कि उससे पहले देश में ब्लास्ट होते थे तो तुष्टिकरण की राजनिति की वजह से कोई भी कार्रवाई नहीं होती थी. राजनैतिक पार्टियां उन अपराधियों और आतंकवादियों के साथ खड़ी होती थीं. अब वह नहीं है. इस पुस्तक में तमाम तथ्यात्मक जानकारी के साथ सार लिखा गया है.

इंडियन मुजाहिदीन निशाने पर गुजरात पुस्तक का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा कि सबसे पहले जो मेल भेजा गया था आतंकवादियों की तरफ से 23 नवम्बर 2007 को भेजा गया था. इस पुस्तक में तमाम ई मेल भी हैं, जिसे पढ़कर प्रत्येक देशवासी की आंखें खुल जायेगी क्योंकि यह मेल आतंकवादियों से मीडिया को भेजे जाते थे. उन्होंने सभी मेल को इस किताब में क्रमबद्ध ढंग से रख दिया है. ताकि यह जन जन तक यह पहुंच सकें.

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तीसरी किताब पुलिस की बारात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा क, इसका तो किरदार भी मैं खुद ही हूं. इस पुस्तक का मेरठ केंद्रबिंदु रहा है. पश्चिमी यूपी के गैंगवार पर है, चंबल के गैंगवार पर है. वे बताते हैं कि खासतौर पर 1976 के बाद जब मेरठ जिले से गाजियाबाद बना. उन्होंने बताया कि उस वक्त उनके एक हवलदार को बदमाशों ने मारा था. हमने उसे 28वें दिन मार दिया था. किताब के बारे में उन्होंने कहा कि इस किताब में आपको वेस्टर्न यूपी का चंबल के बीहड़ का पूरा परिदृश्य मिलेगा.


किताब के बारे में उन्होंने बताया कि इस किताब में यह भी लिखा गया है कि चंबल में गैंग बने तो क्यों बने. इसकी क्या सामाजिक परिस्थितियां थीं कि ये लोग डकैत बन गए. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक पुलिस विभाग के लिए मार्गदर्शक का काम करेगी. वहीं, खास तौर से इंडियन मुजाहिदीन, ये भी सभी को बताएगी की पूर्व में कैसे क्या कुछ हुआ.


ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने पुलिस अधिकारियों के लिए कहा कि आजकल सुविधाएं बहुत बढ़ गई है एक शब्द बहुत चलन में है कि सर्विलांस के जरिए. उन्होंने कहा कि सर्विलांस सेकेंडरी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि 1992 में जब ढांचा टूटा ,तब मेरठ में दंगा नहीं हुआ था ,क्योंकि उन्होंने यहां आकर हिन्दू मुस्लिम सभी को मिलाकर स्वयं सुरक्षा समिति बनाई थी. इसके लिए सभी ने मिलकर काम किया था. उन्होंने कहा कि मैं आज के अफसरों से कहना चाहता हूं कि परमानेंट शांति व्यवस्था के लिए लोगों को जोड़ना पड़ेगा, सर्विलांस सेकेंडरी है. राजनीति में आने को लेकर उन्होंने कहा कि अब पहले की तरह कोई प्रोटोकॉल नहीं हैं. अब तथ्यों के आधार पर वह हमेशा अपनी बात रखते हैं.

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