मेरठःतीन दशक से भी अधिक समय हो चुका है. लेकिन पंजे वाली पार्टी कांग्रेस की स्थिति यूपी में मजबूत नहीं हो पा रही है. भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से देशभर में कांग्रेस को लेकर चर्चाएं भी खूब हो रही हैं. यूपी जैसे बड़े राज्य के सिर्फ जाटलैंड कहे जाने वाले इलाके से ही यात्रा गुजरी थी. तो क्या वेस्ट यूपी में कांग्रेस का पब्लिक से कनेक्शन बन गया है. आखिर कांग्रेस के लिए क्या संभावनाएं हैं.
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी के नेतृत्व में यूपी में करीब 125 किलोमीटर का सफर तय किया था. यूपी के चुनिंदा क्षेत्रों से निकली यात्रा के बाद क्या कांग्रेस के लिए कुछ शुभ संकेत हो सकते हैं. पश्चिमी यूपी में जिस तरह अन्य दलों संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी उनका स्वागत किया. उससे कांग्रेस का कुछ भला होने वाला है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सियासी सूखे की शिकार कांग्रेस में कुछ कामयाब हो सकती है. ऐसे में सिर्फ वेस्ट यूपी के जाटलैंड कहे जाने वाले क्षेत्र से 3 दिन में 125 किलोमीटर का सफर तय करके कांग्रेस को क्या कुछ हांसिल हो सकता है.
राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं कि कोई चमत्कार हो पाएगा. ऐसा सियासी तौर पर अभी नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की कर्मठता और सोच को लेकर आम आदमी की सोच में एक बदलाव आया है. यह कांग्रेस के प्रति लोगों के दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर कह सकते हैं. लेकिन अगर यह कहें कि इस यात्रा से लोगों की सोच वोट में बदल रही है. ऐसा बिल्कुल नहीं दिख रहा है. उन्होंने कहा कि जाटलैंड जिस इलाके को पश्चिमी यूपी के हिस्से के नाम से जाना जाता है. जिसे शुगर बाउल तथा किसानों की धरती कहा जाता है. उस इलाके में कांग्रेस कुछ कर पाएगी ऐसा नहीं लगता है.
सादाब रिजवी इसकी तमाम वजहें भी गिनाते हैं. उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में खासकर पश्चिमी यूपी का एक बड़ा मुस्लिम वर्ग का हिस्सा समाजवादी पार्टी पर अधिक भरोसा करता है. वहीं, बचा हुआ कुछ हिस्सा बीएसपी पर भरोसा करता है. उसी तरह जाटलैंड में जाट राष्ट्रीय लोकदल के साथ या कुछ अंश बीजेपी के साथ चला जाता है. इसके साथ ही दलित वर्ग बीएसपी चीफ मायावती और चंद्रशेखर में बंट जाता है. ऐसी स्थिति में अलग अलग पार्टियों के साथ जो लोग जुड़े गए हैं. वह फिर से कांग्रेस की तरफ जुड़ जाएं. ऐसे सियासी समीकरण कहीं भी नहीं दिख रहे हैं.
सादाब रिजवी कहते हैं कि राहुल गांधी की कोशिश को लेकर हर जगह चर्चाएं जरूर शुरू हो गई हैं. लोग यह मानने लगे हैं कि आने वाले समय में भाजपा के मुकाबले के लिए कांग्रेस ही खड़ी हो सकती है. चाहे यूपी हो या फिर कोई अन्य राज्य हो. उन्होंने कहा कि लोगों की सोच जरूर बदली है. लेकिन अभी वोट नहीं बदला है. उन्होंने कहा कि जो कभी कांग्रेस के मजबूत पिलर के रूप में थे. वह अब अन्य दलों के साथ खड़े हैं. रिजवी ने उन तमाम नामों को भी गिनाते हैं. जो कभी जाटलैंड में कांग्रेस के मजबूत स्तंभ होते थे. लेकिन बाद में उन नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया अन्य दलों में अपना ठिकाना बना लिया है.