मेरठ : एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्राइवेट अस्पतालों में महंगे बिलों पर अंकुश लगाने के दावे कर रही है, वहीं सरकार के सख्त रवैये के बाद भी प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है. प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के इलाज में लापरवाही सामने आ रही है. इलाज के नाम पर मरीजों के तीमारदारों को लूटा जा रहा है. ताजा मामला मेरठ का है जहां बुधवार की शाम एक प्राइवेट अस्पताल ने मरीज की मौत के बाद परजिनों को 70 हजार का बिल थमा दिया और बिल ना जमा करने पर परिजनों को मरीज का शव देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधकों पर अवैध वसूली का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया. मामला इतना बढ़ गया कि अस्पताल स्टाफ एवं परिजनों के बीच हाथापाई तक हो गई. हालांकि पुलिस के पहुंचने से पहले डॉक्टरों ने मामला शांत कर दिया.
मेरठ में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी, मरीज की मौत के बाद थमा दिया 70 हजार का बिल
मेरठ में बुधवार शाम एक प्राइवेट अस्पताल ने मरीज की मौत के बाद परजिनों को 70 हजार का बिल थमा दिया और बिल ना जमा करने पर परिजनों को मरीज का शव देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद कुछ समाजसेवी मौके पर पहुंचे और डॉक्टरों से बात कर 10 हजार का भुगतान कर मामले को शांत कराया.
निजी अस्पतालों की लूट जारी
आपको बता दें कि हापुड़ रोड निवासी गुलफाम को दो दिन पहले सांस लेने में तकलीफ हुई थी. जिसके बाद परिजनों ने गुलफाम को शास्त्री नगर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां इलाज के दौरान मंगलवार की रात में गुलफाम की मौत हो गई. मरीज की मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया और बेबस परिजन अस्पताल से शव ले जाने की तैयारी करने लगे. लेकिन, डॉक्टरों ने शव देने से इनकार कर दिया. अस्पताल के काउंटर से परिजनों को 70 हजार रुपये का बिल थमा दिया गया.
मौत के बाद 70 हजार का बनाया बिल
महज दो भर्ती रखने पर 70 हजार का भारी भरकम बिल देख कर परिजन हैरान रह गए. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों से बात करनी चाही तो अस्पताल स्टाफ ने उनके साथ बदसलूकी शुरू कर दी. परिजन गुलफाम का शव लेने के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन अस्पताल ने शव देने से मना कर दिया. जिसके बाद कुछ समाजसेवी मौके पर पहुंचे और डॉक्टरों से बात कर 10 हजार का भुगतान कर मामले को शांत कराया. जिसके बाद परिजन गुलफाम का शव ले जा सके.
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परिजनों का आरोप है कि मरीज की मौत के बाद मनमाने बिल बनाए जा रहे हैं. मरीज की मौत के बाद 70 हजार जमा करने का दबाव बनाया गया और पूरे पैसे जमा नहीं करने पर मरीज का शव देने से इनकार कर दिया था. इस तरह प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का उपचार कराना मुश्किल हो गया है. वहीं अस्पताल के डॉक्टर इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं.