मेरठ: निर्भया के दोषियों को पवन जल्लाद अपने हाथों से फांसी चढ़ाना चाहता है. मेरठ जेल के जल्लाद पवन का कहना है कि उसे खुशी होगी यदि वह अपने हाथों से निर्भया के चारों दोषियों को फांसी चढ़ाएगा. इस समय निर्भया के चारों दोषी दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं. पवन जल्लाद को उम्मीद है कि उसे ही चारों दोषियों को फांसी देने के लिए बुलाया जाएगा.
दादा कल्लू से सीखा फांसी देना
पवन ने बताया कि उसके दादा कल्लू जल्लाद जेलों में जाकर फांसी देते थे. उनके बाद पवन के पिता मम्मू जल्लाद ने विरासत संभाली. उनके बाद पवन जल्लाद अपने खानदानी पेशे को आगे बढ़ा रहे हैं. पवन बताते हैं कि उन्होंने फांसी देना अपने दादा से सीखा. वह उनके साथ जेल जाते थे और देखते थे कि कैसे फंदा तैयार किया जाता है और कैसे फांसी दी जाती है. उनके दादा ने ही रंगा बिल्ला को फांसी दी थी. पवन ने ये भी बताया कि वह पटियाला में दो, आगरा, इलाहाबाद और जयपुर में एक-एक फांसी के दौरान अपने दादा के साथ थे.
फांसी देने से पहले होता है ट्रायल
पवन जल्लाद का कहना है कि किसी भी दोषी को फांसी देने से पहले ट्रायल किया जाता है. पवन का कहना है कि जिस अपराधी को फांसी देनी होती है उसके वजन के बराबर का एक बोरे में रेत भरकर उसे फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है. इस प्रक्रिया को करके यह देखा जाता है कि कहीं फांसी का फंदा टूट न जाए. इसके अलावा फांसी का फंदा तैयार करने के लिए खास रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है. उसका फंदा बनाने की भी तैयारी पहले से की जाती है. जिस स्थान पर फांसी घर बना होता है वहां भी फांसी देने से पहले देखा जाता है कि लीवर आदि ठीक से काम कर रहा है या नहीं.