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समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी, डॉक्टरों ने बताई ये वजह

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Published : Jun 15, 2023, 5:24 PM IST

Updated : Jun 15, 2023, 6:01 PM IST

समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है. आखिर इसकी वजह क्या है, क्या कहते हैं डॉक्टर, चलिए जानते हैं इस बारे में.

Etv bharat
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मेरठः वर्तमान समय में एक जटिल समस्या डॉक्टरों के सामने आ रही है. यह समस्या है गर्भवती महिलाओं द्वारा तय समय से पहले बच्चों का जन्म देना. इन्हें प्रीमैच्योर बेबी(Premature Baby) कहा जाता है. आखिर इसकी वजह क्या है चलिए जानते हैं.

डॉक्टरों ने ये कहा.
विशेषज्ञ मानते हैं कि दुनिया में भारत ऐसा देश है, जहां प्रीमैच्योर बेबी के जन्म लेने का प्रतिशत तेजी से बढ़ता जा रहा है. नवजात शिशु विशेषज्ञ डॉक्टर प्रियंका गुप्ता कहती हैं कि पिछले अगर 5 सालों की बात करें तो प्रीमैच्योर शिशुओं की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. इसकी प्रमुख वजहों में से एक वजह यह है कि मां बनने की जो उम्र है वह बढ़ती जा रही है. पहले जहां 22 से 23 साल की उम्र में बच्चे को प्लान कर लिया जाता था, अब यह उम्र ही लगभग तीस से पैंतीस वर्ष की हो गई है. सात से आठ साल बाद बच्चे हो रहे हैं. इससे इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ी है. तनाव की वजह से महिलाओं को गर्भधारण में समस्याएं आ रही हैं.
प्रीमैच्योर बेबी का जन्म प्रतिशत बढ़ रहा.
उन्होंने कहा कि गर्भधारण के लिए लिए ज्यादातर महिलाओं को इलाज की जरूरत पड़ रही है. आईवीएफ प्रेग्नेंसी हो या फिर कोई और इलाज, जिसके जरिए बच्चे पैदा होते हैं, उसमें जटिलता होने की संभावना रहती है. उन्होंने कहा कि स्ट्रेस व काम के दवाब की वजह से हाइपरटेंशन की दिक्कत माताओं को रहती है. ऐसे मामलों में जल्दी डिलीवरी हो जाती है. इंफेक्शन होना, पेशाब में संक्रमण होना, वजन कम बढ़ना, सही समय पर किसी भी चिकित्सक की सलाह न लेना, सही समय पर न दिखाना, अल्ट्रासाउंड सही समय पर न कराना आदि इसकी प्रमुख वजहं हैं.
प्रीमैच्योर बेबी के जन्म को लेकर डॉक्टर की राय.

डॉक्टर प्रियंका कहती हैं कि सबसे ज्यादा जरूरी है कि जो गर्भधारण की सही उम्र होनी चाहिए. एक बायोलॉजिकल चक्र जो वुमन का है वह वैसा ही होना चाहिए जैसे कि भगवान ने बनाया है. वह सही उम्र है लगभग 25 से 26 साल तक या बहुत अधिक हो तो 30 साल तक. उन्होंने कहा कि गर्भाधारण का जब भी पता चले तो किसी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में जरूर दिखाएं. सही समय पर सही जांच कराकर सब ठीक किया जा सकता है. आयरन,फोलिक एसिड की टेबलेट समेत नियमित तय समय पर अल्ट्रासाउंड होने चाहिएं. शुगर से लेकर ब्लडप्रेशर भी दिखाएं. इंफेक्शन ठीक हो सकता है.

वहीं, SNCU के नोडल अधिकारी अमर सिंह गुंजियाल ने बताया कि ऐसे बच्चे जो कि प्रीमैच्योर हैं, जिनका वजन कम होता है, ऐसे बच्चे 20 से 25 प्रतिशत या कभी कुछ कम और कभी ज्यादा जिला अस्पताल में हर दिन एडमिट हो रहे हैं. हमारे यहां की परंपरा ये है कि महिलाएं सबसे बाद में खाना खाती हैं. ऐसे में जरूरी है सम्पूर्ण पोषण युक्त आहार माताओं को नहीं मिलता है. माताओं को पौष्टिक आहार मिलना बेहद जरूर है. समय-समय पर जांच जरूर कराते रहें.

मेरठ के महिला जिला अस्पताल में SNCU वार्ड में बतौर स्टाफ नर्स कार्यरत रोहित जांगिड़ बताते हैं कि हर दिन ऐसे नवजात शिशु एडमिट होते हैं जिनकी डिलीवरी समय से पूर्व हो जाती है. वह कहते हैं कि हमारे यहां पर 12 बेड हैं जो कि हर वक्त भरे ही रहते हैं.

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Last Updated : Jun 15, 2023, 6:01 PM IST

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