मेरठ :केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. आलम यह है कि जिले में इस योजना के हर पात्र के हाथ में गोल्ड़न कार्ड नहीं पहुंच पाया है. वहीं इलाज में लापरवाही के मामले भी खूब सामने आ रहे हैं. आलम यह है कि इस योजना से जुडी तमाम तरह की 2544 शिकायतें इस साल में दर्ज हुई हैं.
आयुष्मान भारत योजनामें ऐसे परिवार जो कि इसके पात्रता के दायरे में आते हैं, उनके लिए पांच लाख रुपये तक के इलाज की निःशुल्क व्यवस्था हो जाती है. मेरठ की अगर बात करें तो अभी तक जिले में सभी पात्रों के गोल्डन कॉर्ड नहीं बना पाए हैं. इतना ही नहीं, योजना में इलाज कराने वालों में सैकड़ों लोग ऐसे भी हैं, जो हर माह उन अस्पतालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हैं जो जिले के अफसरों ने पैनल में जोड़े हैं.
कुल 54 प्रतिशत लोगों के बने हैं अभी तक गोल्डन कॉर्ड
मेरठ के सीएमओ सीएमओ अखिलेश मोहन ने ईटीवी भारत को बताया कि कि कुल मिलाकर जिले के अंदर 6 लाख 94 हजार लोगों के गोल्डन कॉर्ड बन चुके हैं. अगर बात करें जिले के कुल पात्रों की तो मेरठ में 12 लाख से भी अधिक लोग इस योजना के पात्र हैं. बकौल सीएमओ इस तरह से कुल 54 प्रतिशत कॉर्ड अब तक बन चुके हैं. बताते हैं कि एक परिवार में किसी के भी बीमार होने पर पांच लाख रुपये तक का इलाज इस कॉर्ड के सहयोग हो सकता है. फिलहाल जो 2011 की सूची है, उसमें 6 और उससे अधिक सदस्यों वाले परिवारों को सम्मिलित किया है.वह बताते हैं कि मुख्यमंत्री के द्वारा भी एक सर्वे कराया था, उनको भी इसमें सम्मिलित किया गया है.
शिकायतों पर होती है कार्रवाई
शिकायतों के बाबत सीएमओ ने बताया कि ठीक से उपचार नहीं मिलने की शिकायतें आती हैं. और भी तमाम आरोप लगते हैं. ये शिकायतें लिखित में भी प्राप्त होती हैं और IGRS पर भी. बताते हैं जनवरी से अब तक लगभग 2544 शिकायतें आ चुकी हैं. जिनके समाधान के प्रयास किए जाते हैं. शिकायतकर्ता से बात कर निस्तारण किया जाता है. जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक कमेठी बनी हुई है, जिसे जिला शिकायत निवारण कमेटी के नाम से जाना जाता है. जो भी शिकायत आती है, उस कमेटी के द्वारा बुलाया जाता है. अस्पताल के जो डॉक्टर्स या जिम्मेदार होते हैं, उनको भी बुलाया जाता है. सुनवाई के दौरान किसी भी तरह की गलती पाई जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
सरकारी के अलावा 92 हॉस्पिटल अधिकृत