मेरठ:भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक अभियांत्रिकी डॉ के अलगुसन्दरम ने कहा कि देश में प्रतिवर्ष करीब 92 हजार करोड़ रूपये के फल, सब्जी, मांस, मछली और अन्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करण और भंडारण के अभाव में खराब हो जाते हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए हमें ग्रामीण स्तर पर प्रसंस्करण और भंडारण के क्षेत्र में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना होगा.
खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक खाने योग्य बनाना होगा
डॉ के अलगुसन्दरम ने यह बात गुरुवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि कही. वेबीनार का विषय था 'जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक खाने योग्य बनाना'. इस वेबीनार में डॉ के अलगुसंदरम ने कहा कि ऐसे खादय पदार्थ जो जल्दी खराब हो जाते हैं या खाने योग्य नहीं रहते, उन्हें लम्बे समय तक खाने योग्य बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस कार्य की हमारे देश में काफी संभावनाएं हैं. देश में हर साल करीब 92 हजार करोड़ रूपये के फल, सब्जी, मांस-मछली व अन्य कृषि उत्पाद खराब हो जाते हैं. इस संबंध में केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री की पहल पर पीएमएफएमई योजना देशभर में लागू की है, इसका लाभ उठाना चाहिए.