मेरठः जिले में रहने वाली नम्रता उम्र के आखिरी पड़ाव में ठुकराए गए लोगों का सहारा बन रही हैं. नम्रता अपनी प्राइवेट स्कूल टीचर की नौकरी छोड़कर बेसहारा बुजुर्गों का आश्रय देती हैं. साथ ही उनके खाने-पीने और रहने की जरूरतों का भी इंतजाम करती हैं. उनके पास रहने वाले बुजुर्गों में कई तो ऐसे हैं, जिनके परिजनों उच्च पदों पर आसीन हैं. लेकिन उन्होंने उस वक्त उनका साथ छोड़ दिया, जब इन बुजुर्गों को उनके सहारे की जरूरत थी.
दादा दादी निवास की संचालिका नम्रता गंगानगर में रहती हैं. नम्रता कुछ समय पहले तक स्कूल टीचर थी, लेकिन जब उनकी सास बीमार हुईं तो ढाईं साल तक नम्रता ने उनकी सेवा की. इसके बाद नम्रता ने ये तय कर लिया कि अब ऐसे बुजुर्ग जनों का सहारा वे बनेंगी, जिनको उनके अपने अजीज बीच मंझधार में छोड़ देते हैं या जिनका कोई सहारा नहीं होता है.
नम्रता ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर ऐसे बुजुर्गों को आश्रय दिया, जो अपनों के द्वारा किसी न किसी रूप में भुला दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि नवदुर्गा में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की लोग पूजा कर रहे हैं, दुर्गा मां की प्रतिमाओं को घरों में स्थापित भी किया गया है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके अपने घर के भगवान बुजुर्ग बेसहारा हैं. नम्रता का कहना है कि बुजुर्गों के लिए उन्होंने एक बड़ा सा घर किराए पर लिया है. नम्रता ने बताया कि उन्होंने सिर्फ शुरुआत की थी, लेकिन अब लोग वहां आते हैं और स्वेच्छा से बुजुर्गों के लिए समय-समय पर कुछ न कुछ देते रहते हैं.