ग्रामीणों और प्रोफेसर ने बताया. मेरठ: उत्तर प्रदेश में "मुजफ्फरनगर सैनी" एक ऐसा गांव है, जो धरती से लगभग 60 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक टीले पर बसा हुआ है. इतना ही नहीं इस गांव का नाम इतिहास में भी दर्ज है, क्योंकि 200 वर्ष से अधिक समय पूर्व इस गांव का उपयोग देश का नक्शा तैयार करने में भी किया गया था. इतना ही नहीं इस गांव की ऊंचाई के लिए तो यह भी कहा जाता है कि पांडु पुत्र भीम ने इस जगह पर अपने पैर के जूतियों की धूल भी झाड़ी थी. आईए जानते हैं इस गांव से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी...
गांव की आबादी लगभग 5 हजार के करीब है. पश्चिमी यूपी के मेरठ को ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का शहर कहा जाता है. यही वजह है कि जहां एक तरफ जिले में हस्तिनापुर है, जिसका पाण्डवों की राजधानी के तौर पर भी इतिहासकर परिचय कराते हैं. वहीं मेरठ को रावण की ससुराल भी कहा जाता है. मेरठ के विल्वेश्वर नाथ मंदिर के बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि उस मंदिर में रावण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए मंदोदरी नियमित पूजा अर्चना करने आती थीं.
इस टीले ने देश का नक्शा तैयार करने में मदद की थी. बता दें कि मेरठ जनपद के मुजफ्फरनगर सैनी गांव की कुल आबादी लगभग 5 हजार के करीब है. इस गांव की खासियत यह है कि यह गांव एक ऊंचे टीले पर स्थित है, जो कि जमीन से 60 फीट ऊंचाई पर है. उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि यहां एक सैकड़ों वर्ष पूर्व की गगनचुम्बी ईमारत है. जिसे गांव के लोग गड़गज कहकर पुकारते हैं. हालांकि यह काफी पुराना निर्माण है, लेकिन आज भी दूर से ही यह गांव दिखाई देता है.
इस गांव में लगभग 100 घर हैं. ईटीवी भारत की टीम गांव जाकर इसके बारे में ग्रामीणों से बातचीत की. इस गांव के बारे में ग्रामीण अशोक कुमार ने बताया कि वर्तमान में यहां 5 हजार के करीब आबादी है, गांव में सैकड़ों घर बने हुए हैं. इतना ही नहीं यह गांव ऊंचे टीले पर बना हुआ है. इस गांंव को दूर-दूर से लोग देखने भी आते हैं. उन्होंने बताया कि पहले गांव में ऊपर आने के लिए कच्चे राश्तों से लोगों को आना पड़ता था, लेकिन अब यहां कई पगडंडियां बनी हुई हैं.
60 फीट टीले पर गांव बसा है. ग्रामीण ओमपाल सिंह ने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि गांव में बने गड़गज से पहले सैनिक निगरानी करते थे. वहीं बुजुर्ग यह भी बताते थे कि हस्तिनापुर पाण्डवों की भूमि रही है. यहां कभी भीम ने अपने जूती की धूल झाड़ी थी. हालांकी ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि यहां गांव में जो इमारत मीनार नुमा बनी हुई है, उसकी कई मंजिल गिर चुकी है. वह जब कहीं जाते हैं तो उनसे रिश्तेदार गांव के बारे में जानकारी चाहते हैं. तो वह उसके बार में बुजुर्गों द्वारा बताई गई जानकारी से परिचय कराते हैं. उन्होंने कहा कि मेरठ के सबसे ऊंचे गांव होने की वजह से यहां के ग्रामीणों में प्रसन्नता रहती है.
वहीं ईटीवी भारत की टीम ने मेरठ के शोभित विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियांक भारती से इस गांव के बारे में बातचीक की. उन्होंने गांव के इतिहास के बारे में बताया कि यह गांव हस्तिनापुर और मेरठ के बीच में है. इस गांव में खुदाई के दौरान पुरातत्त्व विभाग को काफी ऐसी चीजें प्राप्त हुई थीं, जो महाभारत कालीन थीं. साथ ही बताया कि ब्रिटिश हुकूमत में बड़े अधिकारी सर जॉर्ज एवरेस्ट द्वारा वर्ष 1802 में इस गड़गज का निर्माण कराया गया था.
असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि ऐसे में तमाम प्रमाण उपलब्ध हैं. इसके अलावा त्रिकोणमितीय सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा उस समय सर्वे कर अलग-अलग क्षेत्रों के नक्शे तैयार किए गए थे. जिसके बाद तक पहली बार यह नक्शा तैयार किया था. उन्होंने बताया कि द ग्रेट आर्क नामक किताब में भी ऊंचे टीले पर बने गांव के गड़गज के निर्माण से लेकर हर तरह की संरचना का उल्लेख फोटो के साथ वर्णन मिलता है.
यह भी पढ़ें- आगरा में रसगुल्ला खाने को लेकर जमकर चले लाठी-डंडे, महिला समेत छह घायल
यह भी पढ़ें- अलीगढ़ में टीम इंडिया की हार से गुस्साए लोगों ने तोड़ा टीवी, नारेबाजी