मेरठः सोमवार को जिला मुख्यालय पर सपेरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने बीन और अन्य वाद्य यंत्र बजाकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाई. इनका कहना था कि उनकी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. जिसकी वजह से उनकी नस्लें तबाह हो रही हैं. पढ़े-लिखे युवक और युवती जाति का प्रमाणपत्र न मिलने से रोजगार से वंचित हैं. प्रदर्शनकारी सपेरों ने मांग कि है कि उन्हें सरकार जाति का प्रमाणपत्र उपलब्ध कराए.
सपेरों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनके पूर्वज 1947 में राजस्थान से देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर बस गए थे. उन्होंने बताया कि मेरठ जिले में भी सपेरों के 12 गांव हैं. लेकिन जाति का प्रमाणपत्र न बनने से पढ़े-लिखे बच्चों का करियर तबाह हो रहा है. सपेरों ने बताया कि उनका मुख्य धंधा बीन बजाकर गुजर बसर करना था. लेकिन सरकार के वाइल्ड लाइफ एक्ट के कारण अब वो सांप तक भी नहीं रख पाते हैं. जिससे उनके सामने संकट का समय है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कॄष्णनाथ सपेरा ने कहा कि वो एमएससी पास हैं. उन्होंने बताया कि नौकरी के लिए उन्हें जाति प्रमाणपत्र की आवश्यकता थी. लेकिन उनका प्रमाणपत्र नहीं बना. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 4 साल से भी अधिक समय से उनके जातिय प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे. जिस वजह से पढाई लिखाई के बावजूद न चाहकर भी यूं ही घूम-घूमकर बीन बजानी पड़ रही है. बीएड कर चुकी सपेरा जाती की मीनाक्षीने कहा कि परिवार ने किसी तरह भीख मांग-मांगकर उन्हें पाल पोषकर बड़ा किया. लेकिन जाति का सर्टिफिकेट न बनने से वो अब चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते.