एमएमएल श्रीवास्तव सितंबर में होने वाले वर्ल्ड बैडमिंटन प्रतियोगिता में भारत का करेंगे प्रतिनिधित्व मेरठः किसी ने सच ही कहा है अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने के इच्छा तो उम्र बाधा नहीं बन सकती. ऐसा ही कुछ किया है मेरठ के मोहन मुरारी लाल श्रीवास्तव ने. गोवा में कुछ दिनों पहले नेशनल मास्टर्स बैडमिंटन टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था. इसमें मेरठ के 78 साल के एमएमएल श्रीवास्तव ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए अपनी दावेदारी पक्की कर ली है. गोवा में आयोजित हुए इस प्रतियोगिता में 2000 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया. अब वह दक्षिण कोरिया में सितंबर में होने वाली वर्ल्ड बैडमिंटन प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
मेरठ के रोहटा रोड स्थित मेरठ गंगा एनक्लेव में रहने वाले 78 वर्षीय मोहन मुरारी लाल श्रीवास्तव को बचपन से ही खेल का जुनून था. उनके पिता भी क्रिकेट और अन्य खेलों में कई मेडल जीते थे. बड़े भाई समेत परिवार के अन्य सदस्यों की भी खेल में काफी रुचि है. मोहन मुरारी लाल श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि वह खेल के प्रति काफी प्रेम रखते हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने शिक्षा ली है और वहां रहते हुए विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. हालांकि करीब 50 साल से वह खेल से दूर थे. अब रिटायरमेंट के बाद पिछले 4 साल से वो फिर से खेलों में सक्रिय हुए हैं.
उन्होंने कहा कि ईमानदारी से की गई कोशिश, प्रबल इच्छा शक्ति सब कुछ पाया जा सकता है. बशर्ते हमें सोचना नहीं है, करके दिखाना है. अपने लक्ष्य को लेकर तत्काल हमें निर्णय लेने चाहिए, न कि कल पर कुछ टालें. जो करना है, तुरंत योजना बनाकर उसे पूरा करें. यह गर्व की बात यह है कि अपने देश के लिए खेलने विदेश जाऊंगा. बैडमिंटन प्रतियोगिता में सफल होकर कोई न कोई पदक जरूर लेकर लौटूंगा. 75 वर्षीय प्लस श्रेणी में शामिल मोहन मुरारी लाल श्रीवास्तव 15 सितंबर से कोरिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेंगे. इसमें उनके सहयोगी खिलाड़ी के रूप में उत्तराखंड के कर्नल साथ देंगे.
बता दें कि एमएमएल श्रीवास्तव के दो बटे हैं, जो अमेरिका में रहते हैं. उनका एक बेटा वहां डॉक्टर हैं, जबकि छोटा बेटा एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है. उनकी पत्नी का 2007 में निधन हो गया था. उसके बाद से वह अकेले रहकर रिटायरमेंट के बाद अब कुछ न कुछ समाज से जुड़े कार्य भी करते रहते हैं. वह युवाओं को भी अक्सर खेल के मैदानों में जाकर प्रोत्साहित करते हैं.
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