मेरठः पश्चिमी यूपी की राजनीति मेरठ की अपनी एक अलग पहचान है. नगर निकाय चुनाव 2023 में भी मेरठ में मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है. यहां इस बार मेयर की कुर्सी को लेकर सपा गठबंधन खतैली मॉडल पर चुनाव लड़ने जा रहा है. खतौली विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और आजाद समाज पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था. इस गठबंधन ने बीजेपी से खतौली सीट छीन ली थी. अब, समाजवादी पार्टी खतौली मॉडल पर मेरठ में भी मेयर की कुर्सी पाने का सपना देख रही है.
नगर निकाय चुनाव में खतौली मॉडल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक शादाब रिजवी ने बताया कि गठबंधन कर समाजवादी पार्टी ने मेरठ में महापौर की कुर्सी पाने का दांव खेला है. क्योंकि वह गठबंधन के इस फार्मूले को आजमा चुके हैं और उसमें सफल भी हो चुके हैं. इससे उनका मनोबल बढ़ा हुआ है. वहीं, बीजेपी के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है. भारतीय जनता पार्टी खतौली में गठबंधन के चलते हार का सामना कर चुकी है. निश्चित ही बीजेपी इससे आशंकित होगी.
मेयर चुनाव में खतौली उपचुनाव जैसी स्थितिःरिजवी ने कहा किखतौली में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता थे. मेरठ में भी सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर ही हैं. खतौली की तरह ही यहां भी दलितों की अच्छी-खासी संख्या है. जाट को लेकर भी स्थिति काफी हद तक एक जैसी ही है. खतौली में गठबंधन की पार्टी ने गुर्जर उम्मीदवार को टिकट दिया था. उसी तरह मेरठ के मेयर पद के लिए भी सपा ने गुर्जर समाज से ही उम्मीदवार बनाया है. सपा ने सरधना से विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को प्रत्याशी बनाया है.
खतौली में गठबंधन ने बीजेपी को दी थी करारी हारःशादाब रिजवी ने बताया किगठबंधन कि 3 दलों की तिकड़ी ने खतौली में बीजेपी से विधानसभा की सीट छीन ली थी. आरएलडी के मदन भैया बीजेपी को पटखनी देकर विधायक बने थे. अगर मेरठ में भी तीन दल सपा, रालोद और आजाद समाज पार्टी की तरफ से एक बार फिर एकजुट होकर मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश हुई, तो निश्चित ही बीजेपी के लिए मेरठ की सीट निकालनी टेड़ी खीर हो जाएगी.