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Published : Apr 22, 2020, 6:34 AM IST

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मेरठः फसल में आग लगने पर किसानों को एक हफ्ते में मिलेगा मुआवजा

गर्मी के कारण या किसी अन्य कारणों से किसान की फसलों में आग लगने के कारण किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. इसके लिए किसानों को मुख्यमंत्री खेत-खलिहान अग्निकाण्ड दुर्घटना सहायता योजना के अंर्तगत सहायता राशि प्रदान की जाएगी.

crop caught fire
फसल में लगी आग.

मेरठःकिसानों के खेतों में आग लगने के कारण हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति मंडी परिषद करेगी. इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से मेरठ मंडल की मंडी समितियों को एक करोड़ रुपये की राशि मुख्यमंत्री खेत खलियान अग्निकांड दुर्घटना सहायता योजना के तहत दी गई है. वहीं किसानों को अग्निकांड से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए 90 दिन के अंदर दावा प्रस्तुत करना होगा.

फसल में लगी आग.

मुख्यमंत्री खेत-खलिहान अग्निकाण्ड दुर्घटना सहायता योजना
मुख्यमंत्री खेत-खलिहान अग्निकाण्ड दुर्घटना सहायता योजना के तहत किसानों को क्षतिपूर्ति दी जाती है. इसके लिए किसान को अपने क्षेत्र की संबंधित मण्डी समिति के सचिव अथवा उपजिलाधिकारी के कार्यालय में दावा प्रस्तुत करना होगा.

किसानों को मिलेगी क्षतिपूर्ति राशि
संभागीय उपनिदेशक नरेंद्र सिंह ने बताया कि, योजना के तहत एक करोड़ की धनराशि मेरठ मंडल की मण्डियों को जारी कर दी गई है. किसान जो दावा प्रस्तुत करेगा उस पर मण्डी समिति स्तर से तथा तहसील स्तर से जांच के बाद एक सप्ताह के अंदर दावे का निस्तारण कर क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी.

मण्डी क्षेत्र में स्थित खेत खलिहानों में मड़ाई के लिए रखी फसल या खेत में खड़ी फसल की अग्निदुर्घटना से हुई क्षति के लिए मण्डी परिषद द्वारा मण्डी समितियों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. इसमें एक हेक्टेयर तक फसल क्षतिग्रस्त होने पर अधिकतम 30 हजार रुपये अथवा वास्तविक आंकलित क्षति, जो भी कम हो वह दी जाती है.

फसल क्षतिग्रस्त होने की दशा में अधिकतम राशि
वहीं एक हेक्टेयर से दो हेक्टेयर तक फसल क्षतिग्रस्त होने की दशा में अधिकतम 40 हजार रुपये अथवा वास्तविक आंकलित क्षति, जो भी कम हो, वह राशि दी जाती है. दो हेक्टेयर या 5 एकड़ से अधिक क्षतिग्रस्त होने की दशा में अधिकतम 50 हजार रुपये की राशि किसान को दी जाती है. इसके अतिरिक्त किसी एक स्थान में अग्निकाण्ड से एक से अधिक किसानों की फसलों को नुकसान होता है तो उसके दावे का निस्तारण जिलाधिकारी द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद किया जाता है.

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