मेरठ : एक वक्त था जब मेरठ कैंट साफ-सफाई और स्वच्छता समेत और भी बिंदुओं पर देशभर में नम्बर वन था. अब मेरठ कैंट बोर्ड ने फिर एक बार खुद को आगे लाने के लिए कवायदें तेज कर दी हैं. मेरठ कैंट बोर्ड ने स्वच्छता के लिए मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) सेंटर के स्थापना रजबन इलाके में की है. इससे हर दिन बड़ी तादाद में अलग-अलग तरह के कूड़े का निस्तारण किया जाएगा. मेरठ कैंट बोर्ड के CEO ज्योति कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में पूरा प्लान बताया.
देश में फिर से नम्बर वन बनने को मेरठ कैंट बोर्ड ने शुरू किया यह काम, अब सफाई के साथ होगी कमाई
मेरठ कैंट बोर्ड ने स्वच्छता के लिए मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर की स्थापना रजबन इलाके में की है. यहां पर कूडे़ का निस्तारण किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि 'मेरठ कैंट को साफ-सुथरा बनाने के लिए मेरठ कैंटोनमेंट बोर्ड ने बड़ी शुरुआत की है. कैंट बोर्ड अब यहां मैटेरियल रिकवरी फैसिल्टी (एमआरएफ) केंद्र की शुरुआत कर रहा है. इसके तहत अब मेरठ कैंट क्षेत्र से प्राप्त होने वाले कूड़े का बड़े स्तर पर निस्तारण भी हो जायेगा. उन्होंने बताया कि कूड़ा निस्तारण विशेष वैज्ञानिक विधि से किया जाएगा, इसमें कुछ अलग-अलग मशीनों से अलग-अलग तरह के कचरों के अपशिष्ट को नष्ट किया जाएगा. सीईओ ज्योति कुमार ने बताया कि अभी कैंट क्षेत्र में जो प्रतिदिन कूड़ा एकत्र होता है वह 40 से 45 टन होता है. उन्होंने कहा कि अभी जो शुरुआत की गई है, उसमें पांच अलग-अलग हाईटेक मशीनें लगाई गई हैं.'
सीईओ ने बताया कि 'हाल ही में चार अलग-अलग मशीनें लगाई गई हैं, जिसमें कूड़ा निस्तारण होगा. कूड़ा कंवेयर बेल्ट पर आएगा, उसको मैनुअली सेग्रिगेट करेंगे. उसके निस्तारण के बाद जो कूड़ा रहेगा उसमें चाहे प्लास्टिक बोतल हैं, पॉलीथिन हैं, जूते चप्पल हैं, इन सभी को मशीनों के प्रयोग से सेग्रिगेट करके स्टोरेज करेंगे. प्लास्टिक रीयूज नहीं होती, उसको अलग से मशीनों के उपयोग से बेल करके, क्योंकि वह सीमेंट इंडस्ट्रीज में उपयोग में होती है उसे बिक्री कर सकेंगे. बता दें कि कुल चार मशीनें लगाई गई हैं, जिनमें एक फटका मशीन है, दूसरी कंवेयर बेल्ट है, तीसरी बेलिंग मशीन है, थ्रेडिंग मशीन है. उन्होंने कहा कि अभी तो शुरुआत हुई है अभी अलग-अलग एरिया में ऐसे केंद्र बनाए जाएंगे. सीईओ ज्योति कुमार का कहना है कि 'और कुछ ऐसे प्लान हैं जिन पर कार्य किया जाना है. सीईओ ने ईटीवी भारत को बताया कि करीब ढाई लाख टन कूड़ा पड़ा हुआ है, कोशिश है कि उसको भी बायो माइनिंग करके जमीन को उपयोग में लेने के लिए कार्य कर रहे हैं.