मेरठः कोरोना से बचाव के लिए डॉक्टर्स को भी सुरक्षा कवच दिया जा रहा है ताकि वो बीमार न हो और कोरोना मरीजों का इलाज कर सकें. इस सुरक्षा कवच को पीपीई किट कहा जाता है. लखनऊ से भेजे गए 100 पीपीई किट में भारी गड़बड़ी पाई गई. अगर समय रहते इनकी जांच नहीं की जाती और डॉक्टरों में बांट दी जाती तो न जाने कितने डॉक्टर्स कोरोना की चपेट में आ जाते.
मेरठ में कोरोना की चपेट में आने से बाल-बाल बचे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स - up medical supply corporation supplied low quality ppe kit to doctors
लखनऊ से मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में घटिया किट भेजी गई. जो किट स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए डाॅक्टर्स को दी जाती है, उसी किट को लखनऊ से यूपी मेडिकल सप्लाई काॅरपोरेशन ने सप्लाई कर दी. इस पीपीई किट की क्वालिटी इतनी खराब थी कि वो कोरोना संक्रमण से बचाव की बजाय कोरोना संक्रमण फैला देती.
दरअसल लखनऊ से मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में घटिया किट भेजी गई. जो किट स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए डाॅक्टर्स को दी जाती है, उसी किट को लखनऊ से यूपी मेडिकल सप्लाई काॅरपोरेशन ने सप्लाई कर दी. इस पीपीई किट की क्वालिटी इतनी खराब थी कि वो कोरोना संक्रमण से बचाव की बजाय कोरोना संक्रमण फैला देती. दरअसल स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचाने के लिए 60 जीएसएम की पीपीई किट जरूरी होती है, लेकिन कोरोना का संक्रमण उससे कहीं ज्यादा है, इसलिए 80 या 100 जीएसएम की किट की जरूरत होती है. यदि ये बेकार पीपीई किट बंट जाती और इन्हें डाॅक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, कोरोना वायरस से पीडित मरीजों को लाने वाले स्टाफ या मरीजों के सैंपल की जांच करने वाला स्टाफ पहनता तो उन्हें संक्रमण से कोई नहीं बचा सकता था. ये गलती थी या जानबूझकर किया जाने वाला अपराध इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा.
मेरठ मेडिकल काॅलेज के प्रिंसिपल डॉ आर.सी.गुप्ता की सजगता से ये बड़ा संकट टल गया, क्योंकि उन्होंने मेडिकल में क्वालिटी कंट्रोल यूनिट गठित कर रखी है और बिना जांच के कोई सामान नहीं लिया जाता, चाहे वो सरकार से आए या किसी प्राइवेट फर्म से. उन्होंने तुरंत इसकी सूचना महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को दी और जिससे लखनऊ तक हड़कंप मच गया. इसके बाद सभी किट वापिस मांग ली गई.