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इस शिवलिंग की पूजा करने से मंदोदरी को मिला था रावण - बिल्वेश्वर महादेव मंदिर मेरठ

यूपी के मेरठ जिले में भोले बाबा का एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसमें पूजा करने से मंदोदरी को पति के रूप मे रावण मिला था. बताया जाता है कि बिल्वेश्वर महादेव में मंदिर में ही मंदोदरी ने कामना की थी कि उसे शक्तिशाली और विद्वान पति मिले, जिसके बाद मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ.

बिल्वेश्वर महादेव
बिल्वेश्वर महादेव

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Published : Jul 12, 2020, 10:27 AM IST

मेरठः शहर के सदर बाजार स्थित बिल्वेश्वर महादेव मंदिर का पौराणिक महत्व है. बताया जाता है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की पूजा करने से श्रद्धालुओं की मनोकामना जरूर पूरी होती है. रावण की पत्नी मंदोदरी भी इस शिवलिंग की पूजा करती थीं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ ने मंदोदरी की पूजा से प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूरी की थी. इसी शिवलिंग की पूजा करने से उसे रावण जैसा शक्तिशाली और विद्वान पति मिला था.

मयराष्ट्र का नाम हुआ मेरठ
बिल्वेश्वर महादेव मंदिर की अपनी खास मान्यता है, यहां सावन के महीने में दूर-दूर से श्रद्धालु आकर जलाभिषेक करते हैं. मंदिर के पुजारी हरिश्चंद्र जोशी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में मंदिर के इतिहास और उसकी मान्यताओं के बारे में जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि मेरठ का नाम पहले मयराष्ट्र था, यह मय राजा की नगरी थी. मयराष्ट्र ही अब मेरठ कहलाता है. राजा मय की बेटी मंदोदरी थी.

रावण की ससुराल
उन्होंने बताया कि मंदिर में जो शिवलिंग है वह स्वयंभू है. यानी इस शिवलिंग की किसी ने स्थापना नहीं की है. यह शिवलिंग स्वयं ही यहां प्रकट हुआ. इस शिवलिंग की मयराष्ट्र के राजा की पुत्री मंदोदरी भी पूजा-अर्चना करने आया करती थी. मंदोदरी की पूजा और तपस्या से प्रसन्न होकर ही उसे भगवान भोलेनाथ ने मनवांछित वर प्रदान किया. ऐसा कहा जाता है कि मंदोदरी ने अपने लिए सबसे शक्तिशाली और विद्वान पति का वर मांगा था, जिसके बाद उसे रावण जैसा शक्तिशाली और विद्वान राजा पति के रूप में मिला. इसीलिए मेरठ को रावण की ससुराल भी कहा जाता है.

बिल्वेश्वर महादेव का रहस्य.

निराश नहीं लौटते श्रद्धालु
पंडित हरिश्चंद्र जोशी बताते हैं कि इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कभी निराश नहीं लौटते. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सच्चे मन से की गई मनोकामना को भगवान भोलेनाथ जरूर पूरा करते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु नौकरी, मनचाहा वर, रोजगार, संतान प्राप्ति आदि के लिए मन्नत मांगते हैं. यहां देर सवेर सभी की मनोकामना जरूर पूरी होती है. कोई श्रद्धालु यहां से निराश वापस नहीं लौटता. इस मंदिर में दूसरे प्रदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन और जलाभिषेक करने के लिए आते हैं. कुछ ऐसे श्रद्धालु भी हैं जो यहां के रहने वाले हैं और इस समय विदेश में रहते हैं. यह श्रद्धालु जब विदेश से यहां आते हैं तो मंदिर में आकर पूजा अर्चना जरूर करते हैं.

सावन मास में पूजा अर्चना करने का है खास महत्व
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सावन मास में इस मंदिर में सोमवार के दिन विशेष पूजा-अर्चना होती है. इस दिन श्रद्धालु यहां आकर श्रद्धा भाव से अपनी मन्नत भोलेनाथ से मांगते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि सावन मास में यहां की गई पूजा अर्चना का फल भगवान भोलेनाथ जरूर देते हैं, इसलिए यहां श्रद्धालु सावन मास में रुद्राभिषेक कराकर बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

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