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आखिर पुलिस की गिरफ्त से क्यों दूर है माफिया बदन सिंह बद्दो और पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी ?

मेरठ के ढाई लाख के इनामी बदन सिंह बद्दो और पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी तक अभी तक पुलिस पहुंच नहीं सकी है. दोनों ही फरार हैं. आखिर पुलिस इन दोनों तक क्यों नहीं पहुंच सकी है चलिए जानते हैं इस खास खबर के जरिए.

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पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी औऱ ढाई लाख का इनामी बदन सिंह बद्दो

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Published : May 27, 2022, 5:42 PM IST

Updated : May 27, 2022, 6:02 PM IST

मेरठःढाई लाख का इनामी माफिया बदन सिंह बद्दो और पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं. दोनों ही अपने परिवारों के साथ भाग गए हैं. दोनों तक आखिर पुलिस अब तक क्यों नहीं पहुंच सकी है इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

ड्राइवर से माफिया बने सूबे के कुख्यात माफिया बदन सिंह बद्दो की हिस्ट्र्रीशीट दशकों पुरानी है. 26 वर्ष पहले मेरठ के टीपी नगर थाना क्षेत्र के पंजाबीपुरा में रहकर बदन सिंह बद्दो ट्रक ड्राइवरी करता था. इसके बाद मारपीट और हमले में उसका नाम आने लगा. फिर वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात सुशील मूंछ के संपर्क में आया और देखते ही अपराध की दुनिया में उसने बड़ा नाम बना लिया. एक बिजनेमैन की हत्या का वह मुख्य आरोपी है. साल 2011 में सदर थाना क्षेत्र में हुई बसपा जिला पंचायत सदस्य की हत्या में वह वांछित है. एक अधिवक्ता की हत्या में उसे आजीवन कारावास हो चुकी है.

इन्होंने ये कहा.


महल जैसा आलीशान घर, महंगी बुलेटप्रूफ गाड़ियां, विदेशी नस्ल के कुत्ते, हथियार, ब्रांडेड कपड़े और जूते के शौकीन बद्दो का अंदाज एकदम अलग था. 28 मार्च 2019 को फतेहगढ़ जेल में बंद बद्दो को एक पुराने मामले में पेशी के लिए पुलिस गाजियाबाद कोर्ट ले गई थी. इसी बीच पेशी हुई और फिर से जेल वापस आने लगा. शातिर बद्दो ने पुलिस वालों को मेरठ से चलने के लिए राजी कर लिया. एक होटल में पहुंचने के बाद पुलिसवालों को जमकर शराब पिलाई गई, इसी बीच मौका पाकर बदन सिंह बद्दो फरार हो गया. आईपीएस विवेक का कहना है कि उसकी कई संपत्तियां जब्त की गई हैं. उसे पकड़ने के लिए प्रयास जारी हैं. वहीं, रिटायर्ड आईएएस प्रभात कुमार कहते हैं कि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता है तो वो फलते-फूलते हैं.


दूसरा नाम है हाजी याकूब कुरैशी का. हाजी याकूब उस वक्त ज्यादा चर्चा में आए जब उन्होंने डेनमार्क के कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने वाले को 51 करोड़ का इनाम देने की घोषणा की थी. उन्होंने यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) नाम से एक अलग पार्टी बनायी थी लेकिन बाद में वह बीएसपी में शामिल हो गए. वर्ष 2007 में वह बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे औऱ बीएसपी सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाकर मंत्री बने. वर्ष 2012 में उनका टिकट कट गया. मार्च में हापुड़ रोड पर स्थित उनकी मीट फैक्ट्री अल फहीम मीटेक्स प्रा. लि. में छापा मारकर करीब पांच करोड़ कीमत का मीट बरामद किया गया था. इसके बाद वह परिवार के साथ फरार हो गए. पुलिस उन तक भी अभी तक नहीं पहुंच सकी है.

इस बारे में आईपीएस अधिकारी चंद्रकांत मीणा का कहना है कि पूरे मामले में हाजी याकूब कुरैशी सपरिवार फरार हैं. वे कहते हैं कि न ही वे सरेंडर कर रहे हैं न हीं विवेचना. पुलिस जांच कर रही है. वहीं, रिटायर्ड आईएएस प्रभात कुमार राय का कहना है कि ये दोनों ही ऊंची पहुंच वाले लोग हैं. अपराध का राजनीतिकरण होने की वजह से ऐसे लोग फलते-फूलते हैं. अगर इन्हें शुरुआत में ही रोक लिया जाता तो ये नौबत न आती.

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार हरि जोशी कहते हैं कि अगर पूर्व मंत्री की बंद फ़ैक्ट्री में अवैध कटान हो रहा था और किसी को खबर तक नहीं थी. सवाल उठना लाजिमी है. एसपी सिटी का कहना है कि पुलिस ऐसे चिन्हित अपराधियों व माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.

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Last Updated : May 27, 2022, 6:02 PM IST

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