मेरठ : जिले में स्थित देश के इकलौते केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान का मामला अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गया है. दरअसल, आईसीआरए के केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान (ICRA- Central Institute of Research on Cattle) जिस जमीन पर बना हुआ वह लीज पर है. जिसकी लैंड लीज (Land lease) इस ही महीने में समाप्त हो रही है. ऐसे में जमीन के अभाव में इस संस्थान को दूसरे जगह शिफ्ट करने की बात चल रही है. जिसे देखते हुए यहां के कर्मचारियों ने सरकार से गुहार लगाई है. इसके बाद केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी से मुलाकात की है.
प्रदेश की शान और देश के इकलौते गोवंश अनुसंधान संस्थान पर आजकल संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जमीन के अभाव में इसे मेरठ से दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात चल रही है. ऐसे में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के सांसद राजेंद्र अग्रवाल, केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्य राज्यमंत्री संजीव बालियान और राज्यसभा सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने इस बावत प्रधानमंत्री से मंगलवार को मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा की. संसद भवन स्थित कार्यालय में इन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर गुहार लगाई कि इस संस्थान को मेरठ में ही रहने दिया जाए. गोवंश अनुसंधान संस्थान के निदेशक अभिजीत मित्रा का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस मसले का समाधान अवश्य निकलेगा और संस्थान मेरठ में ही बना रहेगा.
गोवंश अनुसंधान संस्थान की जमीन की लीज का मामला पीएम तक पहुंचा केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान मेरठ के छावनी क्षेत्र में स्थित है. वर्तमान में 32.5 एकड़ जमीन में इस संस्थान को बनाया गया है, लेकिन जमीन की लीज इसी महीने जुलाई में समाप्त हो रही है. संस्थान के विस्तार और संचालन के लिए करीब 300 एकड़ और जमीन की और आवश्यकता है. इस अतिरिक्त जमीन के लिए प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की आवश्यकता बताई जा रही है. ऐसे में पीएम से मिलने वाले नेताओं ने उन्हें बताया जिस अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता संस्थान को है वो मेरठ सैन्ट फार्म की 1500 एकड़ भूमि से पूरी की जा सकती है. इन नेताओं ने पीएम से आग्रह करते हुए कहा कि इसमें से 300 एकड़ भूमि 90 वर्ष की लीज पर हस्तांतरित किए जाने से गोवंश अनुसंधान संस्थान का विस्तार भी हो जाएगा और संस्थान मेरठ में ही बना रहेगा.
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केंद्रीय मंत्री संवीजव बालियान और दोनों सांसदों ने पीएम को बताया है कि संस्थान के विस्तार के लिए जमीन की खरीद या किराए पर लिया जाना भी संभव नहीं है. क्योंकि कैंट के एसटीआर के अनुसार 10 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से 300 एकड़ भूमि का बाजार मूल्य करीब 1204 करोड़ रुपए होता है. इसी तरह यदि किराए का प्रस्ताव हुआ तो ये भी 30 करोड़ रुपए प्रति वर्ष होगा. इतनी बड़ी राशि संस्थान खर्च करने की स्थिति में नहीं है. पीएम से मुलाकात के बाद नेताओं ने उम्मीद जाहिर की है कि उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया जाएगा और संस्थान मेरठ में ही रहेगा.