मेरठ :किसान आंदोलन के मुद्दे को देशभर के किसानों के दरवाजे तक ले जाने का संकल्प संयुक्त किसान मोर्चा ने ले लिया है. इसकी पहल मुजफ्फरनगर में होने वाली 5 सितंबर की महापंचायत से हो रही है.
ये कहना है जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक शाह का. अविक शाह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस वक्त सरकार पर कंपनियों का भारी दबाव है. वो किसान से कृषि कानूनों को लेकर वार्ता करना चाहे, तब भी नहीं कर पा रही है. कहा कि किसानों के मंच को राजनैतिक नहीं बनने दिया जाएगा.
कृषि कानूनों के मुद्दे पर मुजफ्फरनगर में महापंचायत के बाद देशभर के किसानों से संपर्क करेगा किसान मोर्चा संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को महापंचायत है. इस महापंचायत को अब तक की सबसे सफलतम् महापंचायत बनाने को लेकर इन दिनों मेरठ मुजफ्फरनगर में किसान संगठन अलग-अलग सक्रिय होकर लोगों तक पहुंच रहे हैं.
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक साहा भी मेरठ व मुजफ्फरनगर में इन दिनों किसान महापंचायत को लेकर अलग-अलग कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि महापंचायत की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन के द्वारा की जा रही है हालांकि देश के प्रमुख 40 बड़े किसान संगठन मंच पर होंगे.
कृषि कानूनों के मुद्दे पर मुजफ्फरनगर में महापंचायत के बाद देशभर के किसानों से संपर्क करेगा किसान मोर्चा अविक साहा का कहना है कि इस वक्त सरकार कंपनियों की है. कहा कि सरकार दुविधा में है. वहीं, विपक्षी पार्टियों के महापंचायत के समर्थन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ये महापंचायत एक महारैली की तरह होने वाली है जिसमें देशभर के किसान जुटेंगे. कहा कि सरकार जब तक तीन कृषि कानूनों व एमएसपी की गारंटी की बात से भागती रहेगी. किसान संगठन इस मुद्दे पर आंदोलन करते रहेंगे.
कृषि कानूनों के मुद्दे पर मुजफ्फरनगर में महापंचायत के बाद देशभर के किसानों से संपर्क करेगा किसान मोर्चा यह भी पढ़ें :अफगानी छात्र नहीं जाना चाहते 'वतन', पीएम मोदी से लगाई गुहार- सर प्लीज हमें यहीं रहने दिया जाए
अविक साहा ने बताया कि मुजफ्फरनगर महापंचायत के बाद से लगातार देशभर में संयुक्त किसान मोर्चा फिर देशभर में गांव-गांव जाकर किसानों ले संपर्क करेगा और सरकार के रवैये को समझाएगा.
कहा कि सरकार के लिए अच्छा ये रहेगा कि वह तत्काल कृषि कानूनों को लेकर किसानों से वार्ता करे. कहा कि अब तक जितनी बार भी सरकार ने वार्ता की, उनमें एक बार भी सरकार ने किसानों की मांग को माना नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार का ये ही रवैया अगर है तो किसान तो आंदोलन जैसे 9 महीने से कर रहे हैं, आगे भी ऐसे ही डटे रहेंगे.
अविक साहा ने कहा कि पिछले 9 महीने में किसान के मंच को किसी भी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को सांझा करने नहीं दिया गया है. आगे भी नहीं करने देंगे. यानी संकेत साफ हैं कि 5 सितंबर की महापंचायत में 40 किसान संघठन अग्रणी भूमिका में रहकर इस किसान महापंचायत का आयोजन करेंगे.
कृषि कानूनों के मुद्दे पर मुजफ्फरनगर में महापंचायत के बाद देशभर के किसानों से संपर्क करेगा किसान मोर्चा यह पूछे जाने पर कि आखिर क्या इसके पीछे सिर्फ किसानों के हित ही हैं या कुछ और, उन्होंने कहा कि इस सवाल का जवाब ये है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वो यूपी के 2022 के चुनाव में शामिल नहीं हो रहे हैं.
हालांकि उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि किसानों को किसान आंदोलन के मुद्दों को समझाना है. उसके बाद किसान खुद ही जागृत होंगे.