मेरठ में जैन समाज की हुई बैठक. मेरठःजैन समाज ने अपने तीर्थ स्थलों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से एक केंद्रीय संघर्ष समिति बनाने का निर्णय लिया है. ताकि भविष्य में किसी तीर्थ स्थल को लेकर जैन तीर्थ सम्मेद शिखर जैसे प्रकरण होने पर जैन समाज के लोग को एक किया जा सके. मेरठ में बुधवार को जैन समाज की एक बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय संघर्ष समिति बनाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है.
जैन तीर्थ सम्मेद शिखर विवादःदरअसल झारखंड सरकार जैन तीर्थ सम्मेद शिखर पर्वत को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने पर विचार कर रही थी. इस तीर्थ स्थल को धार्मिक पर्यटन घोषित करने के पीछे राज्य सरकार का मकसद ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना था. केंद्र सरकार ने भी इस तीर्थ स्थल को इको टूरिज्म क्षेत्र घोषित कर दिया था.
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर जैन धर्म के तीर्थ स्थल पारसनाथ के अलावा देवघर, रजरप्पा, इटखोरी समेत कुछ और जगहों के लिए भी नीति तैयार करने का कार्य किया जा रहा था. जिसको लेकर जैन समाज ने नाराजगी जताई और सम्मेद शिखर जी महाराज स्थल को पर्यटन क्षेत्र बनाने की विरोध में देश भर में प्रदर्शन किया. परिणास्वरूप केंद्र सरकार ने 5 जनवरी को अपना आदेश को वापस ले लिया और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी.
मेरठ में जैन केंद्रीय संघर्ष समितिःइसी बीच बुधवार को भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखकर जैन समाज ने सर्वसम्मति से यह तय किया कि अब अपने तीर्थस्थलों के संरक्षण के लिए वह संघर्ष समिति बनाएंगे. जिससे अगर सरकार भविष्य में ऐसे किसी तरह का निर्णय लेती है तो उसके लिए केद्रीय संघर्ष समिति के माध्यम से एकजुटता दिखाई जाएगी. यह निर्णय शिखरजी संघर्ष समिति मेरठ की एक बैठक में लिया गया.
ईटीवी भारत से बातचीत करते विनेश जैन जैन समाज की इस बैठक में नेपाल केसरी डॉ. मणिभद्र मुनिजी भी शामिल हुए, जिन्होंने बैठक को संभोधित करते हुए कहा कि सम्मेद शिखरजी एक पवित्र स्थल है, जिसे सरकार बेवजह पर्यटन स्थल बनाने पर अड़ी थी, जो कि कभी हो ही नहीं सकता. उन्होंने कहा कि सम्मेद शिखर जैन धर्म के 20 तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली है. इन्हें पर्यटन क्षेत्र घोषित करना अनुचित है. उसकी पवित्रता बने रहना बेहद जरूरी है.
डॉ. मणिभद्र मुनिजी महाराज ने कहा कि किसी भी धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल बनाना अनुचित है. वहां लोग पदयात्रा करके जाते हैं. किसी सवारी, साधन से नहीं जाते हैं. 27 किमी की यात्रा पैदल की जाती है. लेकिन सरकार ने थोड़ी सी सुंदर जगह को देखा और वहां पर्यटन स्थल बनाने का तय कर लिया. देश में तमाम स्थान ऐसे हैं जिन्हें सरकारें विकसित करके टूरिज्म को बढ़ावा दे सकती हैं,
विनेश जैन ने ईटीवी भारत को बताया कि सम्मेद शिखर जी प्रकरण के बाद अब जैन धर्मक्षेत्रों के संरक्षण के लिए केंद्रीय संघर्ष समिति का गठन करना बेहद ही अनिवार्य हो गया है, इसकी शुरुआत मेरठ से की जा रही है. महानगर में स्थित सभी जैन समाजों की एक केन्द्रीय समिति भी बनाई जाए, ताकि भविष्य में उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति मे सामूहिक रूप से रणनीति तैयार की जा सके. इसके साथ ही यह देशभर में जैन तीर्थों के संरक्षण का काम करेगी.
जैन समाज और आदिवासी समाज में विवाद नहींःउन्होंने बताया कि जैन समाज के लोगों ने सम्मेद शिखर जी महाराज में चल रहे प्रकरण को लेकर तमाम बिंदुओं पर चर्चा हुई. सभी ने एकमत से यह बात स्वीकार की कि वहां पर जैन समाज की व आदिवासी समाज का कोई भी आपसी विवाद नहीं है. बैठक में यह भी तय हुआ कि दोनों ही समाज आज तक भाई-चारे के साथ अपने अपनी परंपराओं का निर्वाहन करते आए हैं. जैन समाज का जो आंदोलन हुआ था. वह सिर्फ इस बात को लेकर था की सम्मेद शिखरजी की पवित्रता बनी रहे और सरकार जैन धर्म के शाश्वत तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित करने के अपने निर्णय को वापस ले.
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