मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को न सिर्फ चीनी का कटोरा कहा जाता है, बल्कि गुड़ उत्पादन के लिए भी देश भर में जाना जाता है. इस बार समय से पहले आई गर्मी ने गुड़ कारोबारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. मौसम बदलते ही गुड़ उत्पादन में कमी आने लगी है. इससे गुड़ कारोबारियों को नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं, बेमौसम गर्मी की वजह से एशिया की सबसे बड़ी गुड़मंडी का कारोबार भी प्रभावित हो गया.
इसे भी पढ़ें-प्रदेश की पचास प्रतिशत मंडियों में ही हो रहा है कारोबार
जानिए क्यों खास है पश्चिमी युपी का गुड़
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ने और गुड़ उत्पादन के लिए देश में नहीं दुनिया भर में जाना जाता है. मुजफ्फरनगर में एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी से विभिन्न प्रकार का गुड़ देशवासियों के मुंह का स्वाद बढ़ा रहा है. इसके साथ ही दुनिया के कई देशों में भी अपनी मिठास से पहचान बनाए हुए है. पश्चिमी यूपी में तैयार किया गया गुड़ एक्सपोर्ट भी किया जाता है. इस बार फरवरी के आखिरी सप्ताह में गर्मी बढ़ने से गुड़ कारोबार को नुकसान हुआ है. मार्च के पहले सप्ताह में गुड़ का कारोबार तेजी से बढ़ता है. बेमौसम गर्मी की वजह से कोल्हुओं में गुड़ के कड़ाहे ठंडे पड़े हैं.
समय से पहले गर्मी की मार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कोल्हू चलाए जा रहे हैं. एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी से निर्यात किए जाने वाला गुड़ विदेशों में अपनी धाक जमाता है. इस बार फरवरी के अंतिम सप्ताह से बेमौसम गर्मी शुरू हो गई. इसका सीधा असर गुड़ के कारोबार पर पड़ता नजर आ रहा है. गुड़ कारोबारियों का कहना है कि इस बार बेमौसम ही अप्रैल-मई महीने की तरह तापमान बढ़ने लगा है. गर्मी के मौसम में गुड़ बनाने में दिक्कतें आ रही हैं. गन्ने से निकला रस पकाने के साथ गुड़ की भेली नहीं बन पा रही है.