मेरठ: कोरोना काल में जहां सभी उद्योग धंधे प्रभावित हो रहे हैं, वहीं भारतीय चावल की डिमांड विश्व बाजार में कम नहीं हुई है. कोरोना काल में भी भारतीय चावल की विदेशों में डिमांड बनी रही. यही कारण है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष भारतीय चावल का विदेशों में अधिक निर्यात हुआ है. भारतीय चावल का निर्यात कोरोना काल में करीब चार प्रतिशत बढ़ा है.
निर्यात में चार प्रतिशत की बढ़ोतरीबासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रभारी डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि विदेशों में भारतीय चावल की डिमांड बढ़ना किसानों के लिए एक अच्छा संकेत है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के तीन महीनों में लाॅकडाउन के बावजूद भारतीय चावल की डिमांड कम नहीं हुई. वहीं इस दौरान मीट के निर्यात में काफी गिरावट आई है. डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय के कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष मार्च 2020 से जून 2020 तक के चावल के निर्यात में करीब 4% की बढ़ोतरी देखने को मिली है. इससे साफ जाहिर है भारतीय चावल विदेशों में अपनी धाक जमाने में कामयाब होता जा रहा है. भारतीय चावल की डिमांड में इजाफा देखने को मिल रहा है, इसके चलते इस वर्ष भारतीय चावल विश्व बाजार में और अधिक नई ऊंचाइयों को छू सकता है.
विश्व बाजार में बढ़ी भारतीय चावल की डिमांडडाॅ. रितेश शर्मा ने बताया कि वर्ष 2019 में 20 मार्च से 21 जून 2019 तक चावल का निर्यात 12.04 लाख मीट्रिक टन किया गया था. वहीं इस वर्ष 2020 में यह 20 मार्च से 21 जून के बीच अभी तक 12 .44 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया है. इस बार मौसम विभाग ने मानसून सामान्य रहने की संभावना जताई है. अगर मानसून सामान्य रहता है तो इस बार भारत में चावल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा. विश्व बाजार में चावल की डिमांड अधिक होने की वजह से किसानों को दाम भी अच्छे मिलेंगे.