मेरठ: बुलंदशहर जिले के गांव औरंगाबाद अहीर के मूल निवासी योगेन्द्र यादव ने जब करगिल युद्ध में पाकिस्तान से मोर्चा लिया था तब वह मात्र 19 साल के थे और 18 ग्रेनेडियर में तैनात थे. करगिल की तोलोलिंग पहाड़ी पर पाकिस्तानियों ने कब्जा जमा लिया था. उसे छुड़ाने का जिम्मा बारी-बारी कई टीमों ने संभाला था, जिनको पहाड़ की चोटी पर बैठे पाकिस्तानियों ने निशाना बना डाला. 20 मई 1999 को तोलोलिंग पर कब्जा करने का अभियान शुरू हुआ.
करगिल युद्ध के हीरोः22 दिन की लड़ाई में नायब सूबेदार लालचंद, सूबेदार रणवीर सिंह, मेजर राजेश अधिकारी और लेफ्टिनेंट कर्नल आर. विश्वनाथन की टीमों ने बारी-बारी धावा बोला था. मगर यह प्रयास असफल रहा. उसके बाद 12 जून 1999 को 18 ग्रेनेडियर और सेकंड राइफल ने अटैक किया. योगेंद्र सिंह यादव इस टीम का हिस्सा बने. गजब की जंग हुई और तोलोलिंग फतेह के बाद जीत का सिलसिला शुरू हो गया. 13 जून को इस टीम ने 8 चोटियों पर कब्जा किया.
परमवीर चक्र पाने वाले सबसे कम उम्र के सैनिक हैं योगेंद्रःइस उपलब्धि पर योगेंद्र यादव को उच्चतम भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. योगेंद्र ये सम्मान पाने वाले देश के सबसे कम देश के सबसे कम उम्र के जवान हैं. मेरठ में ईटीवी भारत से उन्होंने खास बातचीत में कहा कि आजादी के मायने एक सैनिक के लिए बहुत खास होते हैं. देश की आजादी के लिए लाखों वीरों और वीरांगनाओं ने शहादत दी है तब जाकर हमें आजादी मिली है. उन्हीं की बदौलत हम आज आजादी के माहौल में सांस ले पा रहे हैं. ऐसे वीरों को नमन करने का दिन है जो दिन रात देश की सेवा में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं. ये आजादी ऐसे ही नहीं मिली हमनें बहुत जुल्म सहे हैं.
क्या कहते हैं तिरंगे के तीन रंगःयोगेंद्र कहते हैं कि तिरंगे के तीन रंग हमारी आन, बान और शान हैं. ये हर इंसान के घरों में और दिलों में बसना चाहिए. जब हम राष्ट्र को सर्वप्रथम रखकर अपने जीवन का निर्वाह करेंगे, अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ेंगे, तब जाकर इस राष्ट्र को हम और ऊंची बुलंदियों पर ले जा सकते हैं. वह कहते हैं कि हर भारतवासी को आजादी को रक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए.
करगिल युद्ध में कैसे मिली जीतः योगेंद्र यादव कहते हैं कि हम चाहे जिस भी क्षेत्र में क्यों न हों हमें ध्यान देना चाहिए कि व्यक्तिगत पहचान से ज्यादा राष्ट्र की पहचान बनाए रखना बेहद जरूरी है. हमारा दायित्व बनता है कि हम राष्ट्र को कुछ दें. करगिल वार को लेकर भी योगेंद्र यादव ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि करगिल वार ऐसी परिस्थियों में लड़ा गया था, जहां जीवन यापन करना भी असम्भव था. माइनस 20 डिग्री तापमान में ऊंची पहाड़ियों पर बैठे दुश्मन को खत्म किया था.
17 हजार की फीट पर सैनिकों के लिए पहुंचाया था राशनःतोलोलिंग फतह के दौरान घातक प्लाटून के कई जवान शहीद हो गए थे. इसलिए जब 17 हजार फीट ऊंचे टाइगर हिल को छुड़ाने की प्लानिंग शुरू हुई तो बेहतर योद्धाओं की तलाश हुई. तोलोलिंग पर जीत के बाद योगेंद्र यादव और उनके तीन साथियों को लड़ाई लड़ रहे सैनिकों तक राशन पहुंचाने का जिम्मा सौंपा गया था. इसके लिए उन्हें घंटों पैदल चलना होता था.