मेरठ:एक तरफ किसान आंदोलन लगातार जारी है, तो दूसरी तरफ अन्नदाता के खाते में गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान भी हो रहा है. अकेले मेरठ की बात की जाए तो यहां की छह चीनी मिलों ने अब तक पेराई सत्र 2020-21 में लगभग 1900 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया है. जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में ये भुगतान लगभग 275 करोड़ रुपये ज्यादा हुआ है.
किसान आंदोलन के बीच गन्ने का रिकॉर्ड भुगतान, अकेले मेरठ को मिला 1900 करोड़ रुपये - rakesh tikait
सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के अगुवाकार और किसान नेता राकेश टिकैत पिछले कई महीनों से किसान बिल के खिलाफ मोर्चे पर डटे हुए हैं. किसानों के हर मुद्दे को मुखरता से उठाते हुए लामबंद हैं. फिर चाहे MSP को लेकर हो या फिर गन्ने के भुगतान को लेकर हो. गौर करे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश गन्ने की खेती के लिए पहचाना जाना है. एक तरफ राकेश टिकैत किसान आंदोलन को लेकर लगातार धरना दे रहे हैं तो दूसरी तरफ अन्नदाता के खाते में गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान हो रहा है. अकेले मेरठ की बात करें तो 1900 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है.
दुष्यंत कुमार का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 275 करोड़ रुपए ज्यादा गन्ना मूल्य भुगतान अब तक किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि मेरठ की छह चीनी मिलों में दौराला, सकौती और नगलामल चीनी मिल का लगभग नब्बे फीसदी गन्ना मूल्य भुगतान हो चुका है. बाकी बची तीन चीनी मिलों का गन्ना मूल्य भुगतान जल्द ही पूरा हो जाएगा. दुष्यंत कुमार का कहना है कि हर वर्ष लगभग 2600 करोड़ रुपए का ज्यादा गन्ना मूल्य भुगतान होता है, और इस बार अब तक लगभग 1900 करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य भुगतान किया जा चुका है.
जिला गन्ना मूल्य अधिकारी ने बताया कि किसान भाई सरकार की हाईटेक सुविधाओं का लाभ उठाकर अपना रिकॉर्ड सही कर सकते हैं. कृषक सहायता केन्द्र जनपद की सभी छह समितियों में उपलब्ध होंगे. किसानों को सिंगल विंडो सिस्टम से सारी जानकारी मिल जाएगी. गन्ना किसानों को समय से भुगतान प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है. वो कहते हैं कि इस बार समय से मेरठ की सभी छह चीनी मिलें संचालित हो जाएंगी.
उधर कोरोनाकाल में महिलाओं के आत्मनिर्भरता की बात करें तो गन्ना बेल्ट की महिलाएं पहले से ज्यादा आत्मनिर्भर हो रही हैं. सैकड़ों समूह बनाकर पौध नर्सरी से चंद महीने में ही महिलाओं ने लाखों रुपए की आमदनी की है. आमतौर पर कोरोनाकाल में रोजगार का संकट गहराया है, लोग रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. लेकिन इसी कोरोनाकाल में वेस्ट यूपी की महिलाओं ने, न सिर्फ अपने लिए रोजगार के अवसर पैदा किए बल्कि आत्मनिर्भर भारत की मिसाल भी पेश की है. गन्ना अधिकारी ने बताया कि पिछली बार गन्ना बेल्ट की महिलाओं के पचास ग्रुप ने मिसाल पेश की थी. लेकिन इस वर्ष अस्सी महिलाओं के ग्रुप बनाए जाएंगे.