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मेरठ की इस नर्सरी में तैयार हो रहे पहलवान, दांव पेंच सीख रहीं बेटियां - रेसलर अलका तोमर

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में बने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की नर्सरी में युवा पहलवानों को तैयार किया जा रहा है. यहां लड़कों लड़कियों को कुश्ती और पहलवानी की ट्रेनिंग दी जाती है. यहां बड़ी संख्या में लड़कियां कुश्ती सीखने आती हैं. बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय रेसलर अलका तोमर भी यहां कुश्ती के गुर बच्चों को सिखाने आती हैं.

मेरठ की इस नर्सरी में तैयार हो रहे पहलवान
मेरठ की इस नर्सरी में तैयार हो रहे पहलवान

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Published : Mar 7, 2021, 1:12 PM IST

मेरठ: एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेलों को बढ़ावा देने के दावे कर रहे हैं, वहीं मेरठ की बेटियों ने पीएम मोदी के दावे को साकार करना शुरू कर दिया है. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की नर्सरी में पहलवानों को पौध तैयार की जा रही है. रुस्तम-ए-जमां दारा सिंह कुश्ती स्टेडियम में हरियाणा-पंजाब की तरह पहलवान तैयार किये जा रहे हैं, जहां लड़कों को कुश्ती सिखाई जा रही है तो वहीं बेटियों को भी पहलवानी सिखाई जा रही है. अंतरराष्ट्रीय रेसलर अलका तोमर से प्रेरणा लेकर बेटियां कुश्ती के अखाड़े में खूब पसीना बहा रही हैं.

मेरठ की नर्सरी में तैयार हो रही पहलवानों की पौध
मेरठ ने देश को दिए कई खिलाड़ी
मेरठ ने देश को क्रिकेट, कुश्ती, बास्केटबॉल और हॉकी समेत कई अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं. कुश्ती की बात करे तो जहां अलका तोमर ने अपनी पहलवानी का दुनिया भर में डंका बजाया है, वहीं कई खिलाड़ियों ने नेशनल प्रतियोगिताओं में मेरठ का मान बढ़ाया है, जिसके चलते बेटों के साथ अब बेटियों ने भी पहलवानी कर न सिर्फ आत्मनिर्भर बनने की ठानी है, बल्कि कुश्ती में विश्व पटल पर तिरंगा फहराने का मन बना चुकी हैं.
रुस्तम-ए-जमां दारा सिंह कुश्ती स्टेडियम में हरियाणा-पंजाब की तरह पहलवान तैयार किये जा रहे हैं
गोल्ड मेडल के लिए पसीना बहा रही बेटियां
मेरठ की बेटियां इन दिनों चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित रुस्तम ए जमां दारा सिंह कुश्ती स्टेडियम में जोर आजमाइश कर रही हैं. इस स्टेडियम को पहलवानों की नर्सरी कहा जाता है. इस नर्सरी में बेटों के साथ-साथ पहलवान बेटियों की पौध तैयार की जा रही है. दस साल से लेकर 20 साल की उम्र की लड़कियां कुश्ती के अखाड़े में जमकर पसीना बहा रही हैं. कोच डॉ. जबर सिंह तोमर बच्चियों को सेल्फ डिफेंस के साथ कुश्ती के हर दांव पेंच सीखा रहे हैं. खास बात तो ये है कि अंतराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी अलका तोमर भी इन्हें कुश्ती सिखाने आती हैं.
मेरठ ने देश को क्रिकेट, कुश्ती, बास्केटबॉल और हॉकी समेत कई अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं.
ओलंपिक में गोल्ड जीतना लक्ष्य
कुश्ती की प्रैक्टिस कर रही इन बेटियों का कहना है कि वे अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी रही अलका तोमर से प्रेरणा लेकर कुश्ती के मैदान में उतरी हैं. रेसलर अलका तोमर की तरह ये भी कुश्ती में न सिर्फ अपने माता पिता का नाम रोशन करना चाहती हैं, बल्कि भारत के लिए आगामी कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की नर्सरी में पहलवानों को पौध तैयार की जा रही है.

कुश्ती खिलाड़ी हेमलता ने बताया कि अभी तक हरियाणा पंजाब में ही लड़कियां कुश्ती किया करती थीं, लेकिन अलका तोमर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने के बाद पश्चमी यूपी की बेटियों में भी कुश्ती की रुचि बढ़ी है. अब ये भी अपने देश के लिए मेडल जीतकर लाएंगी. हालांकि इसके लिए इन्हें कई साल अखाड़े के मैट पर पसीना बहाना पड़ेगा.

बेटियां लड़कों से कम नहीं

निशा तोमर ने बताया कि ये सभी लड़कियां यहां कुश्ती सीखने आती हैं, जहां कुश्ती कोच डॉ जबर सिंह तोमर और अलका तोमर कुश्ती में अभ्यास करा रही हैं. कुश्ती में हरियाणा राज्य की लड़कियां आगे थीं, लेकिन अब यूपी की बेटियां भी कुश्ती सीख कर मेडल जीतने लगी हैं, जिले भर से 26 लड़के लड़कियां नेशनल स्तर पर मेडल जीत चुके हैं, जिससे सभी खिलाड़ियों में जुनून देखा जा रहा है. निशा का सपना भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक खेलों में देश के लिए गोल्ड मेडल लाना है.

देश के लिए गोल्ड जीतना लक्ष्य

लड़कियों की कोच मनु तोमर का कहना है कि वह करीब 10 वर्षों से मेरठ की नर्सरी में न सिर्फ अभ्यास कर रही हैं, बल्कि लड़कियों को कोचिंग भी करा रही हैं. मनु तोमर नेशनल स्तर पर कुश्ती में गोल्ड मेडल लाकर अब इन बेटियों को कुश्ती में ट्रेंड कर रही हैं. पहले कुश्ती खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं नहीं थी, लेकिन अब सभी सुविधाएं दी गई हैं. हालांकि पहले मेरठ के चुनिंदा कुश्ती खिलाड़ियों को हरियाणा पंजाब में कोचिंग के लिए जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें मेरठ में ही अच्छी प्रैक्टिस कराई जा रही है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय मे मेरठ से दर्जनों खिलाड़ी कुश्ती में नेशनल ही नही इंटरनेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं.

मेरठ की अलका तोमर ने जीते मेडल

चौधरी चरण सिंह कुश्ती नर्सरी के कोच डॉ. जबर सिंह ने बताया कि उनकी शिष्य अलका तोमर ने एक ओलंपिक को छोड़कर दुनिया की सभी प्रतियोगिताओं में सारे मेडल अपने नाम किए हैं. इसी नर्सरी में तैयार अलका ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 39 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा कर गोल्ड मेडल जीता था. वहीं अंतरराष्ट्रीय रेसलर अलका तोमर ने बताया कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं. कुश्ती के मैदान में बेटों के साथ बेटियां भी दांव पेंच सीखकर देश के लिए गोल्ड जीत सकती हैं. इसके लिए अलका भी बेटियों के लिए कोचिंग सेंटर खोलने की तैयारी कर रही हैं.

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