मेरठ: जिले के हस्तिनापुर विधानसभा से विधायक रह चुके सपा नेता योगेश वर्मा के आपराधिक इतिहास को देखते हुए अब मेरठ जिला प्रशासन शिकंजा कसने जा रहा है. एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने योगेश वर्मा के खिलाफ गुंडा एक्ट की फाइल जिलाधिकारी दीपक मीणा को भेज दी है. प्रशासन की तरफ से पुलिस के जरिये उन्हें कारण बताओ नोटिस भिजवाया गया है. जिसका जवाब पूर्व विधायक को एडीएम सिटी के यहां दाखिल करने को कहा गया है.
समाजवादी पार्टी के नेता और हस्तिनापुर विधानसभा सीट से विधायक रहे योगेश वर्मा के खिलाफ अब मेरठ पुलिस ने गुंडाक्ट की कार्रवाई की मांग करते हुए फाइल एसएसपी के माध्यम से डीएम को भेज दी है. पुलिस की मानें तो पूर्व विधायक पर करीब दो माह पहले गुंडा एक्ट की कार्रवाई शुरू की गई थी और जिलाधिकारी के यहां रिपोर्ट भेजी थी.
गौरतलब है कि जब 2022 में विधानसभा चुनाव हुए थे तब उस वक्त प्रत्याशियों का आपराधिक इतिहास खंगाला गया था. इस दौरान योगेश वर्मा पर 31 मुकदमे दर्ज होने की बात सामने आई थी. हालांकी योगेश वर्मा का कहना है कि इस बारे में उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है. पूर्व विधायक योगेश वर्मा की दौराला थाने में हिस्ट्रीशीट खुली थी. जानकारी के मुताबिक कुछ समय बाद उसे तब बंद भी कर दिया गया था. लेकिन, अब उस फाइल को फिर से खोला जा रहा है. जिसके बाद पूर्व विधायक पर अब शिकंजा कसना तय है.
पूर्व विधायक योगेश को दो अप्रैल 2018 में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में देशभर में हुई हिंसा के दौरान मुख्य आरोपी बनाया गया था. उस वक्त आठ थानों में पूर्व विधायक के खिलाफ कुल 13 मुकदमे दर्ज किए गए थे.साथ ही तब योगेश वर्मा को रासुका में भी निरुद्ध किया गया था.कुछ मामलों में जमानत मिलने के बाद हाईकोर्ट ने रासुका खत्म कर दी थी.
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बीएसपी में रहकर ही योगेश वर्मा बने थे विधायक, पत्नी बनी थीं मेयर:योगेश वर्मा बसपा के टिकट पर हस्तिनापुर की सुरक्षित सीट से 2002 में चुनाव लड़े थे. लेकिन, उन्हें तब हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद पुनः बीएसपी सुप्रीमो ने 2007 में हस्तिनापुर सीट से योगेश वर्मा को प्रत्याशी बनाया था और वह चुनाव जीत गए. इसके बाद बीएसपी चीफ के काफी नजदीकियों में भी योगेश वर्मा की गिनती होने लगी. इसका फायदा योगेश वर्मा को यह हुआ कि 2017 में मायावती ने योगेश वर्मा की पत्नी को मेरठ में महापौर का प्रत्याशी बनाते हुए टिकट दे दिया.
दलित मुस्लिम गठजोड़ से जीता था चुनाव:योगेश वर्मा दलित मुस्लिम गठजोड़ के बल पर अपनी पत्नी सुनीता वर्मा को चुनाव जिताने में कामयाब रहे. वहीं, इस बीच जब पिछला लोकसभा चुनाव हुआ तो मायावती ने योगेश वर्मा को बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया. लेकिन, योगेश वर्मा को हार का सामना करना पड़ा.
विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी छोड़ ज्वॉइन की थी सपा:यूपी में हुए 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पत्नी पत्नी दोनों ने हाथी की सवारी छोड़कर साईकिल का दामन थाम लिया. इसका फायदा यह हुआ कि योगेश वर्मा को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हस्तिनापुर से टिकट दिया, लेकिन वह हार गए. बीजेपी के दिनेश खतीक ने उन्हें दोबारा पटखनी दे दी. इस बार योगेश वर्मा मानकर चल रहे थे कि मेरठ में महापौर की कुर्सी फिर से सुरक्षित रहेगी. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. सीट ओबीसी थी, पार्टी ने सरधना के सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी को सपा ने प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में योगेश वर्मा न्यूट्रल रहे. उन्होंने कोई प्रचार सपा प्रत्याशी के लिए नहीं किया.
सपा में नहीं चला जादू:अब ऐसे में पुराना घर छोड़कर नए घर सपा में आकर न हीं कोई करिश्मा ही कर पाए. जबकि अब एसएसपी नए पूर्व विधायक पर 31 मुकदमे दर्ज होने के चलते गुंडा एक्ट की कार्रवाई के लिए फाइल डीएम को प्रेषित कर दी है. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिन में योगेश वर्मा पर गुंडा एक्ट की कार्रवाई होना तय है.
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