मेरठ:पश्चिम उत्तर प्रदेश को गन्ना बेल्ट के तौर पर जाना जाता है. जिले में ज्यादातर गन्ने की बंपर पैदावर होती है. अब मछली पालन भी किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. अब अन्नदाता आय को बढ़ाने के लिए मछली पालन से जुड़ रहे हैं. किसानों में फिश फारमिंग (Fish farming) की तरफ रुझान ज्यादा बढ़ रहा है. मछली पालन से कुछ किसान तो इतना प्रेरित हो गए हैं कि उन्होंने अपने खेतों को तालाब में तब्दील कर दिया है.
मत्स्य विभाग (Fisheries department) के अधिकारियों का कहना है कि किसान मछली पालन (Fish farming) से अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि कई किसानों से बातचीत में पता चला है कि पहले वह गन्ने की खेती करते थे. लेकिन, प्रदेश सरकार की मत्स्य विभाग की स्कीम किसानों को पसंद आई और अब वह अपने खेत में फिश फार्मिंग कर रहे हैं. गन्ने से अन्नदाताओं को काफी फायदा होता है. लेकिन, अब फिश फार्मिंग से अपनी आय को दोगुना करने का जतन करते देखे जा रहे हैं.
मत्स्य पालक विभाग अभिकरण मेरठ (Fisheries department agency meerut) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (chief executive officer) शिव कुमार ने बताया कि पश्चिमी यूपी में किसानों को गन्ने की फसल ज्यादा टिकाऊ लगती है. लेकिन, सरकार चाहती है कि उनकी की आय दोगुनी हो और इसके लिए अन्नदाता अपनी आय बढ़ाने के लिए मछली पालन को अच्छा विकल्प मानते हैं. वहीं, मत्स्य विभाग ऐसे किसानों को सहयोग करता है.
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (chief executive officer) का कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार (state government) फिश फार्मिंग (Fish farming) को बढ़ावा देने के लिए इच्छुक कृषकों को आर्थिक मदद भी मुहैया कराती है. कोई भी किसान अपने खेत में मछली पालन कर सकता है. उसके लिए उसे सरकार की तरफ से अंशदान 40 फीसद तक दिया जाएगा. वहीं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और मछली पालन से जोड़ने के लिए मत्स्य विभाग 60 फीसद तक आर्थिक सहायता देता है.