मेरठः कोरोना के बीच वेस्ट यूपी में नई आफत आ गई है. आमतौर पर पूर्वांचल की बीमारी कहा जाने वाला जापानी बुखार (Japanese Fever) अब पश्चिमी उत्तरप्रदेश में दस्तक देता नजर आ रहा है. जापानी इंसेफ्लाइटिस (japanese Encephalitis) का एक केस हापुड़ के एक गांव में मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ है. हापुड़ की रहने वाली एक बच्ची में जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऑपरेशन मच्छर शुरू किया है. मेरठ से विशेष तौर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम हापुड़ गई और वहां से सैकड़ों मच्छर पकड़कर लाई. अब सर्विलांस विभाग की टीम इन सभी मच्छरों की जांच कर स्थिति का आकलन करने में जुट गई है.
डॉक्टर राजकुमार, अपर निदेशक स्वास्थ्य. अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉक्टर राजकुमार का कहना है कि हापुड़ के धौलान ब्लॉक के शाहपुर फोगाट गांव की रहने वाली एक तीन साल की बच्ची को एक महीने पहले बुखार हुआ था. दिल्ली के एक अस्पताल में इस बच्ची को भर्ती किया गया था. इंस्फेलाइटिस की जांच के लिए इस बच्ची का सीरम लिया गया था, जो पॉज़िटिव पाया गया. सीएमओ हापुड़ ने इसकी रिपोर्ट दी थी जिसके बाद मेरठ से विशेष तौर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम हापुड़ रवाना हुई और सैकड़ों मच्छर पकड़े हैं, जिनकी जांच की जा रही है.
बता दें कि जापानी इंसेफ्लाइटिस का पहला केस हापुड़ में मिलने से मेरठ मंडल का हेल्थ डिपार्टमेंट चौकन्ना हो गया है. हापुड़ के गांव से पकड़े एक-एक मच्छर की लैब में रिसर्च की जा रही है. डिस्ट्रिक सर्विलांस ऑफिसर का कहना है कि हापुड़ के गांव से मिले मच्छरों पर रिसर्च चल रही है और मलेरिया डिपार्टमेंट भी लोगों को जागरूक कर रहा है. उन्होंने बताया कि मेरठ मंडल में कभी भी जापानी इंसेफ्लाइटिस का केस नहीं मिला. ये पहला केस, है जो हापुड़ में पाया गया है.
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डिस्ट्रिक सर्विलांस ऑफिसर डॉक्टर अशोक तालियान का कहना है कि वेस्ट यूपी में इससे पहले 2008 में जापानी इंसेफ्लाइटिस का केस मिला था. तकरीबन 13 साल बाद जापानी enceflytis ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश के हापुड़ जिले में दस्तक दी है. पूर्वांचल में जहां इंसेफ्लाइटिस बीमारी की कमर तोड़ दी है. वहां बच्चों पर आफत बनकर टूटी इस बामारी को नियंत्रित कर लिया गया है. लेकिन वेस्ट यूपी के हापुड़ जिले में इंसेफ्लाइटिस का पहला केस मिलना यकीनन एक नया चैलेंज है.
क्या है जापानी बुखार
जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese encephalitis) को आम बोलचाल में जापानी बुखार कहा जाता है. यह एक दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण से फैलता है. इसके वायरस मुख्य रूप से गंदगी में पनपते हैं. इस बीमारी का वाहक मच्छर (क्यूलेक्स) है. वायरस जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है, वह दिमाग की ओर चला जाता है. बुखार के दिमाग में जाने के बाद व्यक्ति की सोचने, समझने, देखने की क्षमता कम होने लगती है और संक्रमण बढ़ने के साथ खत्म हो जाती है. आमतौर पर एक से 14 साल के बच्चे और 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग इसकी चपेट में आते हैं. बारिश के मौसम में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है. बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कमजोरी और उल्टी इस बुखार के शुरुआती लक्षण हैं. समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है. यदि यह लक्षण दिखें, तो नजरअंदाज न करें.
जापानी बुखार के लक्षण
- तेज बुखार, सिरदर्द, अति संवेदनशील होना और लकवा मारना.
- भूख कम लगना भी इसका प्रमुख लक्षण है.
- यदि बच्चे को उल्टी और बुखार हो और खाना न खा रहे हों. बहुत देर तक रो रहे हों, तो डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं.
- जापानी बुखार में लोग भ्रम का भी शिकार हो जाते हैं. पागलपन के दौरे तक पड़ते हैं.